आज के इस आर्टिकल में हम पूर्वी सिक्किम (Tourist Places in East Sikkim) में घूमने वाले प्रमुख पर्यटन स्थल और उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण टिप्स के बारे में बात करेंगे। सिक्किम भारत के नॉर्थ में स्थित एक खूबसूरत राज्य है। सिक्किम में आपको मोनेस्ट्री, जलप्रपात, खूबसूरत वादियां और मन को सुकून देने वाली प्राकृतिक सुंदरता जो आपका मन मोह लेगी।
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सिक्किम देश का एक छोटा और खूबसूरत राज्य है, जिसकी राजधानी गंगटोक है। गंगटोक सिक्किम के पूर्वी हिस्से में स्थित है और पूर्वी सिक्किम की यात्रा का शुरुआती स्थान जहाँ से आप अपनी यात्रा को सफल बनाएंगे। गंगटोक राजधानी के साथ-साथ एक देश का एक प्रमुख हिल स्टेशन भी है।
ईस्ट सिक्किम में घूमने वाले प्रमुख पर्यटन स्थल (Tourist Places in East Sikkim)
वैसे तो सिक्किम का हर एक स्थान अपने आप में अपनी एक अलग पहचान रखता है, लेकिन हम एक ही बार में अगर चाहें तो पूरे सिक्किम को नहीं घूम सकते हैं। इसलिए यदि आपने भी मन बना लिया है पूरे सिक्किम राज्य को घूमने के लिए, तो आप 3-4 चरणों में सही योजना के साथ घूम सकते हैं। इसलिए आज हम आपको सिक्किम हिस्से से रूबरू करवाएंगे।
सिक्किम के पूर्वी हिस्से के शीर्ष में नाथुला दर्रा है, जो एक खूबसूरत पहाड़ी दर्रा है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए हिमालयन जूलॉजिकल पार्क और फैम्बोंग ला वन्यजीव अभयारण्य हैं, जो वनस्पतियों और जीवों की अपनी अलग-अलग किस्मों के लिए प्रसिद्ध हैं। इसी तरह, त्सोम्गो झील और अरितार झील, जो हरे-भरे पेड़ों और धान के खेतों के बीच शांतिपूर्ण आनंद और उस जगह की ख़ूबसूरती मानो आपको लगेगा आप किसी और दुनिया में आ गए हैं। आज हम आपको पूर्वी सिक्किम में घूमने वाले प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताएँगे।
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त्सोमगो (Tsomgo Lake)
सिक्किम में तो कई एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल हैं, लेकिन त्सोमगो झील (Tsomgo Lake) या चांगु झील की बात ही अलग है। यह झील सिक्किम के पूर्वी हिस्से में स्थित है, जो राजधानी गंगटोक से लगभग 40 किमी की दूरी पर है। सर्दियों के मौसम में यह झील जम जाती है। नाथुला दर्रा इस झील के बहुत करीब है।
त्सोमगो झील का पानी इसके पास में स्थित ग्लेशियरों से आता है, जिनकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 3780 है। नाथुला दर्रे के रास्ते में पड़ने वाली इस झील की प्राकृतिक सुंदरता झील के चारों ओर उगने वाले वन्यजीव इस जगह को और भी आकर्षक बनाते हैं। चीनी की सीमा इस प्राचीन झील से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
त्सोमगो (Tsomgo Lake) की सबसे खास बात यह है कि भारतीय डाक विभाग ने वर्ष 2006 में झील को समर्पित एक डाक टिकट जारी किया था। इस जगह की इक्के की सवारी काफी मशहूर है। अगर आप चांगु झील की यात्रा पर आते हैं, तो इसकी सवारी करना न भूलें।
नोट : इस झील की यात्रा करने के लिए आपको गंगटोक कार्यालय से एक विशेष परमिट प्राप्त करने कि जरूरत है।
नाथुला पास (Nathula Pass)
नाथुला पास के बारे में इतिहास में आपने इसका नाम जरूर सुना होगा। यह भारत के सबसे पुराने पहाड़ी दर्रों में से एक है। यहाँ आप बिना परमिशन के नहीं आ सकते। इसके लिए आपको परमिट लेनी पड़ेगी। नाथुला पास पहले भारत और तिब्बत को जोड़ने वाले प्राचीन व्यापार मार्गों में से एक हुआ करता था, जिसे रेशम मार्ग के रूप में जाना जाता है। इस दर्रे की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 14,140 फ़ीट है।
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दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित ATM भी आपको इसी रास्ते में थेगू जगह पर देखने को मिलेगा। बाबा हरभजन सिंह मंदिर भी आपको इसी रूट पर मिल जायेगा। अगर आपको दिल की कोई बीमारी है, तो आप अधिक ऊंचाई यानि ऐसी जगह पर जाने से बचें, क्योंकि जैसे जैसे आप ऊपर चढ़ते चलेंगे, वैसे वैसे आपको ऑक्सीजन की कमी भी महसूस हो सकती है।
जुलुकी (Juluki)
पूर्वी सिक्किम में स्थित जुलुकी प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध हिमालय के निचले हिस्से के पास मौजूद एक खूबसूरत गावं है। अपने परिवार, दोस्तों के साथ जाकर आप अपनी छुट्टियां सुकून और मजे से बिता सकते हैं। यदि आप भी भागदौड़ भरी जिंदगी से परेशान कहीं सुकून की खोज में हैं, तो यह एक अच्छा ऑप्शन है प्रकृति की ख़ूबसूरती बिताने का।
जुलुकी से कंचनजंघा के व्यू को भी एन्जॉय कर सकते हैं। राजधानी गंगटोक से इसकी दूरी 90 किमी है। पूर्वी सिक्किम में स्थित यह गावं बहुत ही खूबसूरत और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है।
जेलेप ला (Jelep La)
जेलेपला दर्रा भारत के पूर्वी सिक्किम के हिस्से में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। इस दर्रे के द्वारा दार्जिलिंग और चुम्बी घाटी होकर तिब्बत जाने का मार्ग बनता है। भारत और चीन में व्यापार भी इस दर्रे से किया जाता है। जेलेप ला दर्रे की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 14,000 फीट की है।
यह भारत की सबसे खतरनाक घाटी सड़कों में से एक है, जो काफी घुमावदार है। यहाँ से आप मेनमेचो झील का भी आनंद ले सकते हैं। यह दर्रा जंगली चुम्बी घाटी और तिब्बती पठार के कुछ सबसे प्राचीन और खतरनाक अभूतपूर्व दृश्यों का भी घर है। यह सड़क त्सोम्गो झील के पास से गुजरती है। जेलेप ला दर्रा ही है, जो सिक्किम को ल्हासा से जोड़ता है, जो चुम्बी घाटी में स्थित है। ‘ला’ शब्द तिब्बती भाषा में ‘दर्रे’ का अर्थ रखता है।
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रुमटेक मठ (Rumtek Monastery, East Sikkim)
राजधानी गंगटोक से लगभग 23 किमी की दूरी पर स्थित रुमटेक मठ (Rumtek Monastery, East Sikkim) जो पूर्वी सिक्किम जिले में स्थित है। बौद्धों के कारग्यू संप्रदाय से संबंधित रुमटेक मठ सिक्किम के सबसे बड़े और लोकप्रिय मठों में से एक है। इस मठ को धर्मचक्र केंद्र के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा बौद्धिक मठ है, जिसकी यात्रा पर आपको एक बार ज़रूर जाना चाहिए।
यह मठ प्रमुख तीर्थस्थानों में से एक होने के साथ-साथ समुद्र तल से लगभग 5000 फीट की ऊंचाई स्थित है। इस मठ का निर्माण पहले ही 9वें कर्मापा द्वारा सन् 1740 में बनवाया गया था, जो ध्वस्त होने से पहले कर्मा कग्यु वंश का मुख्य स्थान हुआ करता था। बाद में 16वें कर्मापा के यहाँ आने के बाद उनके आदेशानुसार सन् 1961 में फिर से इसे बनवाया गया। सन् 1966 में यह पूरा मठ अच्छे तरीके से बनकर तैयार हो गया और यह तब से तिबत्तन बौद्धिकों के मुख्य स्थानों में से एक स्थान बन गया।
बाबा हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh Temple)
पूर्वी सिक्किम में स्थित बाबा हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh Temple) मंदिर जिसे बाबा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर दोनों तरफ नाथुला दर्रे और जेलेप ला दर्रे से घिरा हुआ है। इस मंदिर की यह मान्यता है कि यह सीमा पर भारतीय सेना पर नजर रखता है, और उन्हें किसी भी विदेशी खतरे के प्रति सजुक करता है।
इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल हजारों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 13,123 फीट है। यह मंदिर राजधानी गंगटोक से लगभग 54 किमी की दूरी पर स्थित है।
नामग्याल इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी (Namgyal Institute of Tibetology)
हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ, प्राचीन तिब्बती इतिहास और संस्कृति की दुनिया में सबसे प्रसिद्ध अनुसंधान केंद्रों में से एक है, नामग्याल इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी। संस्थान के एक हिस्से में समृद्ध पुस्तकालय भी हैं, जहाँ पर आपको तिब्बती भाषा, पहाड़ों, इतिहास और संस्कृति पर अनगिनत संसाधन मिलेंगे।
नामग्याल इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी (Namgyal Institute of Tibetology East Sikkim), राजधानी गंगटोक से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है। इस संस्थान में एक विशाल संग्रहालय है, जहाँ पर आपको कई प्राचीन कलाकृतियाँ, सिक्के, संस्कृत, तिब्बती और चीनी में पांडुलिपियों की मूर्तियाँ देखने को मिलेगी। इतिहास प्रेमियों और संस्कृति के संरक्षक के रूप में, नामग्याल संस्थान पूर्वी सिक्किम में घूमने योग्य स्थानों में से एक है।
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