रुद्रप्रयाग की ये 10 जगहें देखकर कहीं फिसल न जाए आपका मन | Rudraprayag Trip

Rudraprayag Trip

सुन्दर प्राकृतिक नजारों के साथ साथ यदि धार्मिक स्थलों के दर्शन हो जाते है, तो मन बहुत खुश हो जाता है। इसके साथ ही अगर ट्रेकिंग और पहाड़ो का भी मजा मिल जाये तो फिर क्या कहने। यदि आप घूमने के लिए ऐसी ही जगह की खोज कर रहे हैं, तो आपको रुद्रप्रयाग का ट्रिप प्लान (Rudraprayag Trip) करना चाहिए। यहाँ आपको प्रकृति के साथ समय बिताने का अच्छा मौका मिलेगा। 

रुद्रप्रयाग जाने से पहले उसके बारे में जानकारी होना भी जरूरी है। इसलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े। क्योंकि इसमें हम आपको बताने जा रहे हैं कि रुद्रप्रयाग का इतिहास क्या है, रुद्रप्रयाग की संस्कृति कैसी है, प्रसिद्ध खान पान क्या है, वहां का रहन सहन, नृत्य, त्यौहार, पारंपरिक पोशाक, किस मौसम में जाना चाहिए, कहाँ कहाँ घूम सकते हैं, रुद्रप्रयाग कैसे जाएं, कहाँ रुकें, वहां जाने के लिए टूर पैकेज, शॉपिंग क्या करें इत्यादि।

इसे भी पढ़ें: History of Uttarakhand in Hindi -उत्तराखंड का इतिहास और संस्कृति: एक व्यापक गाइड

Table of Contents

रुद्रप्रयाग जिले का इतिहास (History of Rudraprayag)

रुद्रप्रयाग एक जिला है, जो भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल में स्थित है। रुद्रप्रयाग जिले का गठन 16 सितंबर, 1997 ई. में किया गया था। इसी स्थान पर अलकनन्दा और मंदाकिनी नदियों का संगम होता है। रुद्रप्रयाग को पंच प्रयागों में से एक माना जाता है।  

रुद्रप्रयाग के इतिहास की बात करें तो इसके इतिहास के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जो महाभारत काल से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार महर्षि नारद ने इसी स्थान पर एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव की कठोर उपासना की थी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर “रूद्र” रूप में नारद जी को दर्शन दिए थे। नारद जी ने यहीं पर शिव जी से संगीत की शिक्षा भी ली थी। तब शिव जी ने उन्हें वीणा दी। इस वजह से ही यह जगह “रुद्रप्रयाग” के नाम से प्रसिद्ध हो गई।   

रुद्रप्रयाग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स (Some Important Points about Rudraprayag) –

जिले का नामरुद्रप्रयाग
राज्य का नामउत्तराखंड
कब स्थापना हुई16 सितंबर, 1997
क्षेत्रफलकरीब 1,896 वर्ग किमी
कुल जनसंख्यातकरीबन 242, 285
जनसंख्या का घनत्व122
साक्षरता81.30%
बोली जाने वाली भाषाएंहिन्दी, गढ़वाली
किस लिए प्रसिद्ध हैप्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन मंदिरों के लिए

रुद्रप्रयाग की संस्कृति (Culture of Rudraprayag in Hindi) –

रुद्रप्रयाग जिले की संस्कृति अलग अलग रीति-रिवाजों और जीवन शैली का एक अच्छा मेल है। रुद्रप्रयाग जिले में विभिन्न प्रकार की परंपराएं और मान्यताएं देखने को मिलती हैं, जिन्होंने जिले की संस्कृति को बनाए रखा है। यहाँ पर कई त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें सभी धर्मों के लोग एक समान होकर और उत्साह के साथ भाग लेते हैं। 

रुद्रप्रयाग के त्यौहार (Festivals of Rudraprayag in Hindi) –

रुद्रप्रयाग में कई त्यौहारों को बहुत ख़ुशी के साथ मनाया जाता है, जैसे – 

  1. हरियाली देवी मेला (Hariyali Devi Fair) – यह मेला हरियाली देवी मंदिर में हर साल सितंबर-अक्टूबर के महीनों में आयोजित किया जाता है। मंदिर में शेर की पीठ पर देवी की प्रतिमा है। यहां दूर दूर से भक्त देवी की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।
  2. मदमहेश्वर मेला (Madmaheshwar Fair) – मदमहेश्वर मेला भी यहाँ के प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक है। इस दौरान मधमेश्वर धाम से मधेश्वर की डोली पंच केदार ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ जाती है। इसे देखने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
  3. बैसाखी मेला (Baisakhi Fair) – यह मेला अप्रैल महीने की 13-14 तारीख को मनाया जाता है। इसे मंदाकिनी घाटी में अगस्तमुनि, फेगू, तालतोली आदि स्थानों पर बड़े ही उत्साह के साथ लोग मनाते हैं। इस दिन सूर्य मेष राशि में जाता है।
  4. नागपंचमी (Nag Panchami) – नागपंचमी के त्यौहार को श्रावण के पांचवें दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार को लोग नाग देवताओं को धन्यवाद देने के लिए मनाते हैं।  
  5. शिवरात्रि (Shivratri) – शिवरात्रि को यहां के लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं। इस त्यौहार पर भगवान शिव के मंदिरों को सजाया जाता है। इस दिन भक्ति गीत गाए जाते हैं और अनुष्ठान किए जाते हैं। यहाँ तक कि मेलों का भी आयोजन किया जाता है।

इसके अलावा रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, दिवाली और दशहरा जैसे त्यौहारों को भी बहुत धूमधाम और जोश के साथ मनाया जाता है।

रुद्रप्रयाग का रहन सहन (Lifestyle of Rudraprayag in Hindi) –

रुद्रप्रयाग एक पहाड़ी जगह है। इस कारण यहाँ के लोगों का रहन सहन भी उसी पर निर्भर करता है। यहाँ लोग जल्दी सो जाते हैं और सुबह की पहली किरण पर उठ जाते हैं। इनका जीवन बहुत सरल होता है। ये लोग बहुत मिलनसार होते हैं। पर्यटकों (Tourists) की मदद करना इनके नेचर में होता है।   

रुद्रप्रयाग की पारंपरिक वेशभूषा (Traditional Costumes of Rudraprayag) –

रुद्रप्रयाग जिले के लोग ऐसी पोशाक पहनते हैं जो उनकी अर्थव्यवस्था और पहाड़ी परिवेश को दिखाती है। यहाँ के पुरुषों की सामान्य पोशाक में कुर्ता-पायजामा और शर्ट शामिल हैं। सर्दियों के समय घुटनों तक लंबा कोट भी पुरुषों की पसंदीदा पोशाक रहती है। 

यहाँ की महिलाएं आमतौर पर साड़ी पहनती हैं। वहीं सर्दियों के समय वो अंगरा पहनती हैं, जो एक तरह का जैकेट होता है। इसके अलावा सलवार कमीज भी पहनती हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले भोटिया लोग ऊनी कपड़े पहनते हैं। घाघरा  अंगरास और फंटू (रंगीन दुपट्टा) के साथ कमरबंद और ओढ़नी, ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की पारंपरिक पोशाक होती है। रुद्रप्रयाग जिले के लोग पारंपरिक आभूषण पहनने के शौकीन होते हैं, जो उनकी संस्कृति को दर्शाते हैं। चांदी की बिछिया, जिसे बिछुवा भी कहा जाता है, विवाहित महिलाओं के आभूषण हैं।

रुद्रप्रयाग का नृत्य (Dance of Rudraprayag) –

रुद्रप्रयाग के लोक नृत्य भी कई प्रकार के होते हैं, जैसे – 

1) थड़िया नृत्य (Thadiya Dance) – यह नृत्य वसंत पंचमी पर किया जाता है। इस नृत्य में गीतों के साथ वसंत ऋतू के आने की ख़ुशी मनाई जाती है।  

2) पांडव नृत्य (Pandava Dance) – यह नृत्य सर्दियों के शुरू होने पर फसलों की कटाई के बाद किया जाता है। इस नृत्य में महाभारत की घटनाओं को दिखाया जाता है। 

3) भोटिया नृत्य (Bhotiya dance) – यह नृत्य यहाँ का प्राचीन नृत्य है। इस नृत्य को किसी की मृत्यु के समय किया जाता है। 

4) झोड़ा नृत्य (Jhoda dance) – झोड़ा नृत्य को भी वसंत ऋतु के समय किया जाता है। यहाँ के लोग गोला बनाकर इस नृत्य को करते हैं। 

5) छलिया नृत्य (Chholiya dance) – इस नृत्य को तलवार के साथ किया जाता है। इसलिए इसे तलवार नृत्य भी कहते हैं। 

रुद्रप्रयाग का खानपान (Rudraprayag Famous Food) –

रुद्रप्रयाग जिले की खानपान की आदतें ज्यादा अलग नहीं हैं। यहाँ का खाना देश के अन्य हिस्सों से काफी मिलता जुलता है। यहाँ पर शाकाहारी खाना मिलता है। खाने में ज्यादातर गेहूं और चावल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आप यहाँ पर मंडवे की रोटी, झंगुरे की खीर, चैसोणी, अरसा, भांग की चटनी, कंडाली का साग, फाणु का साग, गहत के परांठे जैसे खाने का भी स्वाद ले सकते हैं। 

रुद्रप्रयाग घूमने का सबसे बेहतरीन समय (Best Time to Visit Rudraprayag) –

आपने रुद्रप्रयाग का ट्रिप प्लान किया है, तो वहां जाने के सबसे अच्छे समय के बारे में भी पता होना चाहिए। ताकि आपको ट्रिप के दौरान परेशानी ना हो। आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से अक्टूबर तक का रहता है। बारिश के दिनों में यहाँ पर भारी बारिश के कारण भूस्खलन भी होता है। वहीं सर्दियों में यहां पर काफी बर्फ रहती है। इसलिए यहाँ जाने के लिए मौसम का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। 

रुद्रप्रयाग में घूमने की जगह (Famous Places in Rudraprayag to Visit) –

Places in Rudraprayag
Best tourist places to visit in Rudraprayag : Image Source

रुद्रप्रयाग में आपको घूमने के लिए कई धार्मिक और प्राकृतिक जगहें मिल जाएँगी, जो बहुत ही सुन्दर हैं, जैसे –

1) केदारनाथ (Kedarnath) –

केदारनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ चार धामों में आता है, जिस कारण यहाँ पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। इसकी ऊंचाई से प्राकृतिक नज़ारे बहुत ही खूबसूरत दिखाई देते हैं। केदारनाथ मंदिर में एक शिवलिंग है, जो कि शंक्वाकार आकार का है। इसे शिव जी का कूबड़ मानते हैं। इस मंदिर को पांडवों ने 8-9 वीं शताब्दी में बनवाया था। 

मंदिर जाने का समय – यह मंदिर साल भर नहीं खुला रहता। यहां दर्शन के लिए अप्रैल से नवंबर महीने में ही आया जा सकता है। 

रुकने की सुविधा – यहां रुकने के लिए आपको कई धर्मशालाएं और होटल केदारनाथ धाम के आसपास मिल जायेंगे। साथ ही आपको खाने की व्यवस्था भी मिलेगी। 

2) अगस्त्यमुनि रुद्रप्रयाग (Augustmuni Rudraprayag) –

सुंदर वातावरण और मंदाकिनी नदी के किनारे बसा अगस्त्यमुनि रुद्रप्रयाग बहुत ही खूबसूरत है। इस छोटे से गांव का नाम प्रसिद्ध ऋषि अगस्त्य के नाम पर रखा गया था। यह गांव बहुत ही शांत और सुन्दर है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए टूरिस्ट दूर दूर से आते हैं और अपना शानदार पल बिताते हैं। यहाँ से केदारनाथ के लिए हेलिकॉप्टर की सुविधा भी मिलती है।  

रुकने की सुविधा – अगस्त्यमुनि रुद्रप्रयाग में एक फॉरेस्ट रेस्ट हाउस भी है, जहाँ पर रुकने की सभी सुविधाएं मिलती हैं। इसके अलावा आपको यहाँ पर प्राइवेट होटल, धर्मशालाएं, लॉज भी मिल जायेंगे। 

3) सोनप्रयाग, रुद्रप्रयाग (Sonprayag Rudraprayag) –

रुद्रप्रयाग में घूमने की जगहों में सोनप्रयाग भी शामिल है। यह 1829 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस स्थान पर भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी हुई थी। इसे देखने के लिए भी पर्यटक (Tourists) यहां पर आते हैं। यह जगह बर्फ से ढकी रहती है। यहाँ पर मंदाकिनी नदी बसुकी नदी से मिलती है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस संगम में नहाता है, उसे सीधे बैकुंठ धाम मिलता है।  

रुकने की सुविधा – सोन प्रयाग में भी आपको रुकने के लिए कई ऑप्शन मिल जायेंगे। यहाँ आपको होटल्स, कुटिया और धर्मशालाएं आसानी से मिल जाएँगी, जैसे – बुटीक होटल, गंगनानी में होटल इत्यादि।      

4) गौरीकुंड (Gaurikund) –

यह मंदाकिनी नदी के तट पर बसा है। यह कुंड रुद्रप्रयाग का सबसे आकर्षक स्थल है। यहाँ की सुंदरता किसी का भी मन मोह लेती है। गौरीकुंड समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह धार्मिक और पवित्र स्थल है। यहां स्थित गौरीकुंड मंदिर और गौरी झील भी प्रसिद्ध है। 

रुकने की सुविधा – गौरीकुंड के आसपास रुकने के लिए गेस्ट हाउस, होटल और धर्मशालाएँ जैसे कई ऑप्शन मिल जाते हैं। जैसे – भवानी टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स, शिवालिक घाटी रिसॉर्ट्स, जेपीजी पैलेस आदि।  

5) कार्तिक स्वामी (Kartik Swami) –

कार्तिक स्वामी, भगवान कार्तिकेय का मंदिर है, जो कि समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ की सुंदरता बहुत लुभावनी है। यह मंदिर पहाड़ के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है, जहाँ पर ट्रेक के जरिये पहुँचा जाता है।

रुकने की सुविधा – कार्तिक स्वामी मंदिर से करीब 1 किमी की दूरी पर आपको रुकने के लिए होटल्स, लॉज और धर्मशालाएं मिल जाएँगी। साथ ही खाने की सुविधा भी मिलती है। 

मंदिर का समय –  6:00 AM से 11:30 AM तक और 5:00 PM से 8:30 PM तक

6) इन्द्राणी मनसा देवी मंदिर (Indrasani Mansa Devi Temple) –

इन्द्राणी मनसा देवी मंदिर कंडाली पट्टी गाँव के पास स्थित है। यह बहुत पुराना मंदिर है, जिसे आदि शंकराचार्य ने बनवाया था। कहा जाता है कि इसी स्थान पर इंद्रानी मनसा देवी की उत्पत्ति हुई थी। यहाँ पर सांप के काटे हुए मरीज ठीक हो जाते हैं।

रुकने की सुविधा – आपको इस मंदिर के आसपास रुकने के लिए जगहें आसानी से मिल जाएँगी।

मंदिर खुलने का समय –  4:00 AM to 10:00 PM

7) रुद्रनाथ मंदिर (Rudranath Temple) –

रुद्रनाथ मंदिर मंदाकिनी और अलकनंदा नदी के संगम पर स्थित है। यह भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। नारद मुनि ने इसी स्थान पर शिव जी की आराधना की थी। आज भी इस मंदिर में नारद मुनि का चित्रों द्वारा वर्णन किया गया है।

मंदिर खुलने का समय – 5:00 AM to 7:30 PM

रुकने की सुविधा – आपको रुद्रनाथ मंदिर के आसपास रुकने के लिए होटल्स, लॉज और धर्मशालाएं मिल जाएँगी। आप अपने बजट के अनुसार वहां रूम ले सकते हैं। 

8) वासुकी ताल (Vasuki Tal) –

वासुकी ताल एक झील है, जो समुद्र तल से 4135 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान ट्रेकर्स के लिए बहुत ही शानदार है। चौखम्बा चोटियों का नजारा यहाँ से बहुत सुन्दर दिखाई देता है।

रुकने की सुविधा – आपको बता दें कि यह एक ट्रेकिंग पॉइंट है, इसलिए यहाँ पर रुकने की सुविधा नहीं है। आप ट्रेकिंग करने के बाद इसके आसपास की जगहों पर रुक सकते हैं।

9) त्रियुगीनारायण मंदिर (Triyuginarayan Temple Rudra) –

त्रियुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है। यह समुद्र तल से 1,980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर रुद्रप्रयाग के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में लगातार अग्नि जलती रहती है। ऐसा माना जाता है कि यह अग्नि दिव्य विवाह के समय से ही जल रही है। इसलिए इसे अखंड धुनी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। 

मंदिर खुलने का समय – 6:00 AM to 8:00 PM

रुकने की सुविधा – यहां पर रुकने की सुविधा नहीं है। आपको लगभग 30 किमी की दूरी पर गुप्तकाशी और सोनप्रयाग में रुकने की जगहें मिल जाएंगी।  

10) गुप्तकाशी मंदिर (Guptkashi Mandir) –

गुप्तकाशी मंदिर भी रुद्रप्रयाग के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। गुप्तकाशी केदारनाथ से 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह समुद्र तल से 1319 मीटर की ऊँचाई पर है। गुप्तकाशी में दो प्राचीन मंदिर हैं – एक विश्वनाथ मंदिर और दूसरा अर्धनारेश्वर मंदिर। पर्यटक यहाँ पर पहाड़ी सुंदरता के साथ साथ मंदिर दर्शन के लिए भी आते हैं। 

मंदिर खुलने का समय – 6:00 AM to 9:00 PM

रुकने की सुविधा – यहां भी आपको रुकने के लिए अच्छी सुविधाएं मिल जाएँगी। गढ़वाल मंडल विकास निगम गुप्तकाशी आपको कई सुविधाएं देती है।

रुद्रप्रयाग में रुकने की जगह (Where to Stay in Rudraprayag) –

आप यदि रुद्रप्रयाग जाने का ट्रिप प्लान कर रहें हैं, तो आपको यहाँ रुकने के लिए बहुत अच्छे अच्छे ऑप्शन मिल जायेंगे। यहाँ आपको आपके बजट के अनुसार बेहतर होटल्स, धर्मशालाएं और कॉटेज मिल जायेंगे। आप इनकी ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं। 

रुद्रप्रयाग में रुकने के लिए कुछ जगहें इस प्रकार हैं – सेवा आतिथि होमस्टे, शिवानंदी रिवर लॉज, होटल माउंटेन व्यू और होटल ज्वाल्पा पैलेस। 

रुद्रप्रयाग कैसे जाएं (How to Reach Rudraprayag) –

रुद्रप्रयाग जाने के लिए कई सुविधाएं मिल जाती हैं, जैसे – 

हवाई जहाज द्वारा (By Air) – आप यदि हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग के लिए सीधे फ्लाइट कनेक्टिविटी नहीं है। इसके लिए सबसे नजदीक का एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून है। यह रुद्रप्रयाग से करीब 183 किमी की दूरी पर है। एयरपोर्ट से रुद्रप्रयाग के लिए कैब, टैक्सी और बस आसानी से मिल जाती है। 

सड़क मार्ग द्वारा (By Road) – रुद्रप्रयाग तीर्थस्थल होने के कारण उत्तराखंड के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से रुद्रप्रयाग तक जाने के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं। इसके अलावा देहरादून, हरिद्वार, श्रीनगर आदि जगहों से भी आपको बस और टैक्सी मिल जाएगी। 

ट्रेन द्वारा (By Train) – रुद्रप्रयाग जाने के लिए सीधे कोई ट्रेन नहीं है। इसके लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश में है। यह शहर से करीब 140 किमी की दूरी पर है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से आप बस, टैक्सी और कैब ले सकते हैं, जो आपको रुद्रप्रयाग तक आसानी से पहुंचा देंगे। 

रुद्रप्रयाग के लिए टूर पैकेज (Best Rudraprayag Tour Packages) –

रुद्रप्रयाग चारधाम यात्रा का हिस्सा रहता है।  इसलिए टूर पैकेज को कुछ इस तरह बनाया गया है –

चारधाम यात्रा – ग्रुप टूर (डीलक्स) पैकेज 12 दिन/11 रात होटल –  ₹67,092

दो धाम यात्रा – ग्रुप टूर पैकेज 8 दिन/7 रात होटल –  ₹48,955

क्या खरीदें (Shopping in Rudraprayag) –

रुद्रप्रयाग में ठण्ड बहुत रहती है। इसलिए यहां पर ठंड के कपड़े बहुत बढ़िया मिलते हैं, जो बहुत सुन्दर होते हैं। आप यहाँ पर इनकी शॉपिंग कर सकते हैं। इसके अलावा आप भगवान की सुन्दर सुन्दर प्रतिमाओं को भी अपने साथ ला सकते हैं।

FAQs –

Q. रुद्रप्रयाग में कौन–कौन से त्यौहार मनाए जाते हैं?

A. रुद्रप्रयाग में हरियाली देवी मेला, दशहरा, मदमहेश्वर मेला, नागपंचमी जैसे त्यौहारों को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।  

Q. रुद्रप्रयाग का लोक नृत्य कौन सा है?

A. रुद्रप्रयाग का थड़िया नृत्य बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा झोड़ा नृत्य, और भोटिया नृत्य भी काफी लोकप्रिय है। 

Q. रुद्रप्रयाग कब घूमने जाना चाहिए?

A. रुद्रप्रयाग घूमने के लिए मार्च से जून तक का समय बहुत अच्छा रहता है।  

Q. रुद्रप्रयाग भारत में कहां पर स्थित है? 

A. रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल में एक जिला है।

Q. रुद्रप्रयाग क्यों प्रसिद्ध है?

A. रुद्रप्रयाग अपने प्राचीन मंदिरों के कारण प्रसिद्ध है। 

निष्कर्ष (Conclusion) –

इस आर्टिकल में हमने आपको रुद्रप्रयाग से जुड़ी सारी जानकारी दी है। हमने आपको रुद्रप्रयाग का इतिहास, संस्कृति, खानपान, वहां का रहन सहन, त्यौहार और पारंपरिक पहनावे के बारे में भी बताया है। आप यदि Rudraprayag Trip प्लान कर रहे हैं, तो आपको वहां किस मौसम में जाना चाहिए और आप कहाँ कहाँ घूम सकते हैं इसकी भी जानकारी दी है।

आप रुद्रप्रयाग कैसे जाये, कहाँ रुकें और वहां जाने के लिए कितना बजट लगेगा, क्या खरीदारी करें, इन सबका उत्तर भी हमने आपको इस आर्टिकल में दे दिया है। आशा है कि आपके लिए रुद्रप्रयाग से जुड़ी सारी जानकारी Helpful रही होगी।

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