देवप्रयाग में घूमने के लिए 10 सबसे फेमस जगह – Devprayag uttarakhand

devprayag uttarakhand

नदियों की शांत धारा में घंटों बैठकर सुकून का अनुभव होता है। आप यदि अपने वेकेशन प्लान के लिए ऐसी जगह ढूंढ रहें हैं, जहाँ आपको शांत वातावरण मिले तो आपको देवप्रयाग जाना चाहिए। लोग यहाँ पर ध्यान और चिंतन के लिए आते हैं। साथ ही भगवान का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। आप भी यदि देवप्रयाग का ट्रिप प्लान कर रहे हैं, तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करना जरूरी है। आपको Devprayag Tour पर जाने में किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसलिए आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।  

इसमें आपको देवप्रयाग के बारे में सब कुछ जानने को मिलेगा, जैसे – देवप्रयाग का इतिहास, संस्कृति, त्यौहार, नृत्य, वेशभूषा, रहन-सहन, खाना, देवप्रयाग में घूमने की सबसे अच्छी जगह, जाने का सही समय, जाने के लिए साधन, रुकने की जगह, टूर पैकेज, क्या खरीदें इत्यादि।

इसे भी पढ़ें: रुद्रप्रयाग की ये 10 जगहें देखकर कहीं फिसल न जाए आपका मन | Rudraprayag Trip

देवप्रयाग का इतिहास (History of Devprayag in Hindi) –

History of Devprayag
History of Devprayag in Hindi: Image resources

देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में टिहरी गढ़वाल जिले में आता है। देवप्रयाग (Devprayag) में अलकनंदा नदी और भागीरथी नदी का संगम होता है। यहीं से आगे जाकर इन नदियों का संगम ही “गंगा नदी” बन जाता है। 

देवप्रयाग की समुद्र तल से ऊंचाई 1500 फ़ीट है। इसके इतिहास के बारे में कहा जाता है कि राजा भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए मना लिया था। जब गंगा नदी पृथ्वी पर आयी, तो उनके साथ 33 करोड़ देवी-देवता भी स्वर्ग से आये थे। उन्होंने अपने रुकने के लिए स्थान, देवप्रयाग को बनाया। तभी से देवप्रयाग को देव भूमि के नाम से भी जाने जाना लगा।

देवप्रयाग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स (Some Important Points About Devprayag) –

जिले का नामदेवप्रयाग
राज्य का नामउत्तराखंड
कुल जनसंख्यातकरीबन 2,152
साक्षरता77.00%
बोली जाने वाली भाषाएंहिंदी, गढ़वाली
किस लिए प्रसिद्ध हैप्राचीन मंदिरों के लिए 

देवप्रयाग की संस्कृति (Culture of Devprayag in Hindi) –

देवप्रयाग की संस्कृति की बात करें तो यहाँ आपको हर जगह धार्मिक वातावरण मिलेगा। यहां के लोगों ने अपनी पूजा पाठ और धार्मिक आस्था को बरक़रार रखा हुआ है। यहाँ की संस्कृति बहुत शांत है, जो सभी को बहुत पसंद आती है। कुछ लोग लोग यहाँ पर शांति पाने के लिए भी आते हैं। 

देवप्रयाग के त्यौहार (Festivals of Devprayag in Hindi) –

देवप्रयाग जैसे सुन्दर स्थान पर त्यौहारों को मनाने का भी अपना एक अलग ही रीति-रिवाज होता है। यहाँ पर कई त्यौहारों को शानदार तरीके से मनाया जाता है, जैसे –

  1. महापूजा उत्सव (Mahapuja Festival) – यह त्यौहार रघुनाथ जी मंदिर में मनाया जाता है। यह देवप्रयाग के प्रमुख सांस्कृतिक त्यौहार में से एक है। यह त्यौहार दिसंबर-जनवरी में मनाया जाता है। इन महीनों में भगवान रघुनाथ जी की पूजा की जाती है और मंदिर के परिसर में खिचड़ी का भोग तैयार किया जाता है।
  2. नंदा देवी-मेला (Nanda Devi-Fair) – नंदा देवी मेले को देवप्रयाग, दंडीधारा, नौटी, मुनस्यारी, रानीखेत जैसी जगहों पर मनाया जाता है, जिनमें से देवप्रयाग और रूपकुंड मेला सबसे प्रसिद्ध है। यह मेला नंदा देवी मंदिरों में मनाया जाता है। यह त्यौहार देवी के माता-पिता के घर की यात्रा से शुरू होता है और अपने पति के घर लौटने के साथ ख़त्म होता है।
  3. बसंत पंचमी (Basant Panchami) – बसंत पंचमी हर साल जनवरी और फरवरी के महीनों में मनाई जाती है। इस त्यौहार पर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है और लोग पीले कपड़े पहनते हैं।
  4. गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) – गंगा दशहरा को देवप्रयाग में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार मई-जून के दसवें दिन शुरू होता है। गंगा दशहरा के त्यौहार पर लोग दस दिनों तक गंगा नदी की पूजा अर्चना करते हैं।
  5. महा शिवरात्रि (Maha Shivratri) – महा शिवरात्रि भी देवप्रयाग के प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक है। इस दिन भगवान शिव जी की पूजा की जाती है।

इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा, रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, दिवाली जैसे त्यौहारों को भी बहुत धूमधाम और जोश के साथ मनाया जाता है।

देवप्रयाग का रहन सहन (Lifestyle of Devprayag in Hindi) –

धार्मिक जगह होने के कारण यहाँ के लोगों का रहन सहन भी धार्मिक रहता है। यहां आपको हर जगह लोग पूजा पाठ करते दिखाई देंगे। इनका नेचर बहुत फ्रेंडली होता है। यहां के लोग पर्यटकों (Tourists) की मदद भी करते हैं। आपको देवप्रयाग में आकर शांति और सुख का अनुभव होगा।  

देवप्रयाग की पारंपरिक वेशभूषा (Traditional Dress of Devprayag) –

यहाँ की महिलाएं एक विशेष तरीके से बंधी हुई साड़ी पहनती है, जिसका पल्लू सामने रहता है और कंधे पर गांठदार जैसा होता है। इसके साथ ही कपड़े से बना कमरबंद भी होता है। जबकि पुरुष कुर्ता और पायजामा या फिर कुर्ता और चूड़ीदार पहनते हैं। ठंड के दिनों में टोपी और पगड़ी भी पहनी जाती है।

देवप्रयाग का नृत्य (Dance of Devprayag in Hindi) –

1) पांडव नृत्य (Pandava Dance) –

यह लोक नृत्य उत्तराखंड में बहुत प्रसिद्ध है। इस नृत्य में महाभारत काल के पांडवों की कहानी को नृत्य के जरिये दिखाया जाता है। 

2) झोड़ा नृत्य (Jhoda Dance) –

झोड़ा नृत्य को वसंत ऋतु में किया जाता है। इस नृत्य को यहाँ के लोग गोल घेरे में घूमकर करते हैं। 

3) मुखौटा नृत्य (Mask Dance) –

यह नृत्य भी एक लोकप्रिय नृत्य है। इसे वैशाख के महीने में किया जाता है। नृत्य करने वाले लोग अपने मुंह पर मुखौटा लगाए रहते हैं।

4) छोलिया नृत्य (Chholiya Dance) –

छोलिया नृत्य एक ऐसा नृत्य होता है, जिसे तलवार के साथ किया जाता है। इस कारण इसे तलवार नृत्य के नाम से भी जाना जाता है। 

5) भोटिया नृत्य (Bhotiya Dance) –

भोटिया नृत्य को किसी की मृत्यु के समय किया जाता है। इसलिए इसे मृतकों का नृत्य भी कहते हैं।

देवप्रयाग का खानपान (Devprayag Foods in Hindi) –

देवप्रयाग एक छोटी जगह होने के कारण यहां पर खाने की चीजें बहुत लिमिटेड हैं। आप यहाँ कई जगहों पर टेस्टी खाना खा सकते हैं, जो कि इस प्रकार हैं –

1) विंटरलाइन रिज़ॉर्ट @ रेस्तरां

पता – एनएच 34, ऋषिकेश-चंबा-टिहरी आगराखाल रघुनाथ मंदिर से 2.8 किमी दूर है। 

2) होटल ब्लू हिल एंड रेस्टोरेंट

पता – मसूरी रोड, चंबा रघुनाथ मंदिर से 4.2 किमी दूर है। 

3) दी फारेस्ट  कैफे

पता – क्लब महिंद्रा के पास 

रघुनाथ मंदिर से 12.4 किमी दूर है। 

4) क्लब महिंद्रा कनाटल रिज़ॉर्ट

पता – 11 किलोमीटर स्टोन चम्बा, मसूरी रोड

रघुनाथ मंदिर से 12.2 किमी दूर है। 

5) जेजे फूड

पता – पुरानी टिहरी रोड

रघुनाथ मंदिर से 9.3 किमी दूर है। 

देवप्रयाग घूमने जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Devprayag) –

देवप्रयाग धार्मिक और पवित्र स्थान होने के कारण यहाँ पर सालभर Tourists आते रहते हैं। लेकिन गर्मी के मौसम में देवप्रयाग जाना सबसे अच्छा होता है। क्योंकि देवप्रयाग में इस मौसम में सामान्य ठंडी जलवायु रहती है, जो बहुत ही आरामदायक होती है। इसलिए मार्च से मई के बीच यहां पर्यटक ज्यादा आते हैं। हालांकि देवप्रयाग में जुलाई से सितंबर के महीनों में ज्यादा बारिश होती है, इसलिए यहां की हरियाली देखने लायक होती है। लेकिन यह एक पहाड़ी क्षेत्र है, इसलिए यहां पर बारिश में भूस्खलन का खतरा रहता है। यही कारण है कि इस मौसम में यहां घूमना कठिन हो जाता है।  

देवप्रयाग में घूमने की जगह (Best Places to Visit in Devprayag) –

देवप्रयाग में घूमने के लिए बहुत सारी खूबसूरत जगहें हैं, जहां आप अपना कीमती समय बिता सकते हैं, जैसे – 

1) रघुनाथ जी मंदिर (Raghunathji Temple) –

रघुनाथजी मंदिर में भगवान राम की पूजा होती है। यह मंदिर अलकनंदा और भागीरथी नदी के संगम पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस कारण यह सबसे पुराने मंदिरों में भी गिना जाता है। यहाँ पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। 

मंदिर जाने का समय :- 

गर्मी में सुबह – सुबह 5:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक 

शाम का समय – शाम 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक 

सर्दी में सुबह – 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक 

शाम का समय –  शाम 4:00 बजे से लेकर रात 8:00 बजे तक 

2) सस्पेंशन ब्रिज (Suspension Bridge) –

सस्पेंशन ब्रिज देवप्रयाग के लोकप्रिय जगहों में से एक है, जो भागीरथी और अलकनंदा नदियों पर बना है। इस पुल से पूरे शहर का सुंदर नजारा दिखाई देता है। यह पुल लटकता हुआ है। इस झूले से नदियों के संगम का मनोरम दृश्य भी दिखाई देता है। यहां पर दूर दूर से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।

स्थान – भागीरथी नदी  

3) क्यूंकालेश्वर महादेव मंदिर (Kyunkaleshwar Mahadev Temple) –

क्यूंकालेश्वर महादेव मंदिर एक लोकप्रिय मंदिर है। मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों के साथ-साथ कार्तिकेय और गणेश की मूर्तियां भी हैं। अगर आप अपने परिवार के साथ देवप्रयाग घूमने जा रहे हैं, तो आप उनके साथ इस मंदिर का दर्शन भी जरूर करें। 

स्थान – अलकनंदा घाटी के पास। 

मंदिर जाने का समय – सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक 

4) दशरथशिला (Dashrathshila) –

दशरथशिला एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है और देवप्रयाग में घूमने के लिए खूबसूरत जगहों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के पिता राजा दशरथ ने इस स्थान पर तपस्या की थी, जिसके कारण इस मंदिर का नाम दशरथशिला पड़ा था। यह मंदिर शांता नदी के तट पर स्थित है। इस नदी का नाम राजा दशरथ की बेटी के नाम पर रखा गया है।

स्थान –  दशरथांचल शिखर, देवप्रयाग 

समय – 24 घंटे 

5) चंद्रबदनी मंदिर (Chandrabadni Temple) –

चंद्रबदनी मंदिर चंद्रकूट पर्वत की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर देवी सती को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि देवी सती का धड़ इसी स्थान पर गिरा था। यह मंदिर समुद्र तल से 2277 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस कारण यहां से गढ़वाल की पहाड़ियों और केदारनाथ, बद्रीनाथ और सुरकंडा चोटियों का मनोरम नजारा दिखाई देता है। 

स्थान – चंद्रबदनी ट्रैक, झानौ, उत्तराखंड 

मंदिर जाने का समय – सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक 

6) तीन धारा (Teen Dhara) –

तीन धारा काफी लोकप्रिय जगह है, जो देवप्रयाग के राजमार्ग पर स्थित है। यहाँ पर तीन छोटी छोटी पानी की झीलें हैं। साथ ही यहाँ पर खाने के लिए अच्छे ढाबे और होटल्स भी हैं, जहाँ आप लजीज खानों का स्वाद ले सकते हैं। आपको यहां पर स्ट्रीट फूड भी मिल जायेंगे।

स्थान – देवप्रयाग, उत्तराखंड 

समय – 24 घंटे

7) अलकनंदा और भागीरथी नदियों का संगम (Confluence of Alaknanda and Bhagirathi Rivers) –

पंच प्रयागों में देवप्रयाग प्रसिद्ध स्थान है। यहीं पर भागीरथी नदी और अलकनंदा नदियों का संगम होता है, जिसे नदी के सबसे पवित्र संगमों में से एक मानते हैं। यहाँ पर लाखों पर्यटक आते हैं।

स्थान – देवप्रयाग, उत्तराखंड

समय – 24 घंटे

8) नक्षत्र वेधशाला (Nakshatra Observatory) –

देवप्रयाग में नक्षत्र वेधशाला भी देखने लायक जगह है। इसकी स्थापना 1946 में पंडित चक्रधर जोशी द्वारा की गई थी। यहाँ पर आधुनिक दूरबीन, वैज्ञानिक उपकरण और बड़ी लायब्रेरी है। इसके अलावा, इसमें 17 वीं शताब्दी के प्राचीन खगोलीय उपकरण और पांडुलिपियां भी हैं।

जाने का समय – सुबह 6:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक

9) ब्रह्म कुण्ड (Brahma Kund) –

ब्रह्म कुंड में लोग स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और सृष्टि की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए यहां 11000 वर्षों तक ध्यान किया था। 

10) वशिष्ठ कुण्ड (Vashishtha Kund) –

इस कुंड में भी लोग स्नान करते हैं। यह वह स्थान है, जहां ऋषि वशिष्ठ ने घोर तपस्या की थी। तब प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें ब्रह्म ज्ञान का आशीर्वाद दिया था। 

देवप्रयाग में ठहरने की जगह (Where to Stay in Devprayag) –

देवप्रयाग उत्तराखंड का एक छोटा सा दर्शनीय स्थल है। यहाँ पर आपको आपके बजट के अनुसार कुछ होटल और लॉज मिल जायेंगे। इसके अलावा आपको यहाँ पर सस्ते दर पर आश्रम भी मिलेंगे। जैसे रामकुंड रिसॉर्ट्स, जीएमवीएन टूरिस्ट बंगला देवप्रयाग, होटल देव गोविंद पुरम, रिवरसाइड रिज़ॉर्ट कीर्ति नगर आदि में भी आप रूम बुक करा सकते हैं।   

देवप्रयाग कैसे जाएं (How to Reach Devprayag) –

देवप्रयाग जाने के लिए आपको कई ऑप्शन मिल जाते हैं, जैसे – 

हवाई जहाज द्वारा (By Air) – आप यदि हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि देवप्रयाग जाने के लिए सीधे फ्लाइट की कनेक्टिविटी नहीं मिलती है। यहाँ के लिए सबसे नजदीक का एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून का है। देवप्रयाग यहाँ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से टैक्सी सेवाएं आसानी से मिल जाती हैं।

सड़क मार्ग द्वारा (By Road) – देव प्रयाग एक धार्मिक तीर्थस्थल है, इस कारण यह सड़कों के द्वारा उत्तराखंड के सभी प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से देवप्रयाग तक जाने के लिए बसें और निजी बसें आसानी से मिल जाती हैं।  

ट्रेन द्वारा (By Train) – देवप्रयाग जाने के लिए सीधे ट्रेन नहीं है। सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। यह देवप्रयाग से लगभग 71 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से टैक्सी, बस और कैब से आसानी से देवप्रयाग पहुंचा जा सकता है।  

देवप्रयाग के लिए टूर पैकेज (Best Devprayag Tour Package) –

देवप्रयाग टूर पैकेज

(हरिद्वार, बड़कोट, यमुनोत्री, उत्तरकाशी, गंगोत्री, गुप्तकाशी, बद्रीनाथ, देवप्रयाग) –  ₹ 55,250 –  10 रातें / 11 दिन – (होटल, कार, पर्यटन यात्रा, भोजन)

देवप्रयाग से क्या खरीदें (What to Buy) –

देवप्रयाग में आपको धार्मिक चीजें जैसे – भगवान की मूर्तियां, आसन, पूजा पाठ की सामग्री आदि मिल जायेंगे। इसके अलावा आप वहां से गर्म कपड़े भी खरीद सकते हैं, जो कि बहुत गर्म होते हैं। आप यहाँ की दुकानों से शंख, गंगा जल और सीप जैसी चीजों को भी खरीद कर अपने मंदिर में रख सकते है। पवित्र स्थान से ली गयी ये चीजें अच्छी होती हैं। 

FAQs –

Q. देवप्रयाग में कौन कौन सी नदियों का संगम है?

A. देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा नदियों का संगम होता है। 

Q. देवप्रयाग का दूसरा नाम क्या है?

A. देवप्रयाग को “सुदर्शन क्षेत्र” के नाम से भी जाना जाता है। 

Q. देवप्रयाग का अर्थ क्या है?

A. देवप्रयाग का अर्थ होता है “देवताओं का संगम”। 

Q. देवप्रयाग घूमने के लिए कितने दिन लगते हैं?

A. देवप्रयाग घूमने के लिए एक से दो दिन काफी होते हैं। 

Q. देवप्रयाग क्यों प्रसिद्ध है?

A. देवप्रयाग में रघुनाथ जी का मंदिर फेमस है, जिसके दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। 

निष्कर्ष (Conclusion) –

इस आर्टिकल में हमने आपको देवप्रयाग से जुड़ी सारी जानकारी दी है। हमने आपको देवप्रयाग का इतिहास, संस्कृति, नृत्य, खान-पान, वहां का रहन सहन, त्यौहार और पारंपरिक पहनावे के बारे में भी बताया है। आप यदि देवप्रयाग का ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो आपको वहां किस मौसम में जाना चाहिए और आप कहाँ कहाँ घूम सकते हैं इसकी भी जानकारी दी है। 

आप देवप्रयाग कैसे जाएं, कहाँ रुकें, वहां जाने के लिए टूर पैकेज कौन सा है और शॉपिंग क्या करे, इसका जवाब भी आपको इस आर्टिकल में मिल गया है। आशा है कि आपको देवप्रयाग से जुड़ी सारी जानकारी Helpful लगी होगी। 

अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो, तो आप इसे सोशल मीडिया पर भी शेयर करें, Thanks!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कैंची धाम – नीम करोली बाबा से अनसुलझे जुड़े रहस्य। उत्तराखंड में घूमने वाले प्रमुख पर्यटन स्थल ऋषिकेश कि बजट ट्रिप कैसे प्लान करें हरिद्वार में फ्री धर्मशाला कैसे ढूढ़े