कैंची धाम - नीम करोली बाबा से अनसुलझे जुड़े रहस्य।

कैंची धाम, हिमालय के शृंगारिक पर्वतों में बसा, वो पवित्र स्थल है जिसने श्रद्धालुओं और आस्तिकों के दिलों में विशेष स्थान बनाया है। इस पवित्र आश्रम को नीम करोली बाबा के आवास के रूप में माना जाता है, जो अपने गहरे उपदेशों और निष्कलंक प्रेम के लिए प्रसिद्ध भारतीय संत हैं।

आज कि इस स्टोरी में हम, कैंची धाम की अद्भुत कहानी से जुड़े 10 रोचक तथ्यों के बारे में बतायंगे। 

20वीं सदी की मध्यवर्ती में, एक भटकते तपस्वी जिसको आयु के 17 वे वर्ष में ही ज्ञान की प्राप्ति हुई और पुरे भारत भ्रमण के बाद नीम करोली बाबा के नाम से उत्तराखंड के कुमाऊं की पहाड़ियों में स्थित गांव कैंची में बसने का मन बनाया।

दिव्य संगम -नीम करोली बाबा 

‘सीजर शब्द का हिंदी में अनुवाद "कैंची" होता है। यह नाम दो कैंची जैसी पर्वत चोटियों से लिया गया है जो आश्रम को देखती हैं, माना जाता है कि यह आध्यात्मिक यात्रा पर निकलने के दौरान आसक्तियों को काटने और भौतिक दुनिया से अलग होने का प्रतीक है। 

"कैंची" का प्रतीकवाद

नीम करोली बाबा, अपने अनूठे उपदेशों के लिए "महाराज-जी" के नाम से अपने अनुयायियों द्वारा प्यार से बुलाए जाते थे। उनके प्रेम, दया और सेवा के संदेशों ने विभिन्न परंपराओं की सीमाएँ पार करने वाले लोगों को आकर्षित किया, जो एकता और समरसता के वातावरण को बढ़ावा देते थे।

महाराज-जी के अनूठे उपदेश 

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कैंची धाम की एक महत्वपूर्ण विशेषता दैनिक "सत्संग" की प्रैक्टिस है, जिसमें भक्त ध्यान करते हैं, मंत्र जपते हैं, और आध्यात्मिक विचारणाओं को सुनते हैं। ये सत्र आध्यात्मिक पोषण और विचारणा का एक वातावरण बनाते हैं।

"सत्संग" की शक्ति

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आश्रम का मुख्यांश हनुमान मंदिर है, जो महाराज-जी के लिए गहरी भक्ति का स्थल है। बगल में भगवान राम, देवी सीता और देवी दुर्गा के छोटे मंदिर हैं। मंदिर के चारों ओर घने बगीचे, शांत ध्यान हॉल और तीर्थयात्रियों के आवास सुविधाएं हैं।

सम्पूर्ण मंदिर

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कई चमत्कारी घटनाओं को नीम करोली बाबा के कैंची धाम में प्रवेश का स्थान माना गया है। एक किवदंती के अनुसार एक बार कैंची धाम में आयोजित भंडारे में घी की कमी हो गई। 

चमत्कारी कथाएँ

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बाबा जी की आज्ञा से जल नदी से नीचे कनस्तर में प्रवाहित किया गया। जब उस जल का उपयोग प्रसाद बनाने के लिए किया गया, तो वह घी में बदल गया। इसके पवित्र ऊर्जा से आश्रम के चारों ओर एक रहस्यमय आभा बनी रहती है।

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कैंची धाम ने अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की जब पश्चिमी खोजकर्ता, जैसे कि राम दास और कृष्णा दास, 1960 और 70 के दशक में महाराज-जी का दर्शन किया। उनके अनुभव और लेखन से उनके उपदेश पूरी दुनिया में फैले।

पश्चिमी संबंध

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स्टीव जॉब्स के अलावा, मार्क जुकरबर्ग, फेसबुक के संस्थापक, लैरी पेज, Google के सह-संस्थापक, और ईबे के सह-संस्थापक जेफरी स्कोल कुछ प्रमुख टेक दिग्गज हैं, जिन्होंने मंदिर की तीर्थ यात्रा की थी।

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महाराज-जी ने निस्वार्थ सेवा को महत्व देते हुए आत्मिक विकास के लिए एक साधना का प्रचार किया। आश्रम की तरफ से चैरिटेबल सुविधाओं ले तहत स्थानीय समुदाय को स्वास्थ्य सेवाएँ और शिक्षा प्रदान करना जैसे कार्य आज भी किये जाते हैं।

निस्वार्थ सेवा

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नीम करोली बाबा की महासमाधि (गुजारने) की वर्षगांठ को कैंची धाम में विशेष यात्रा भरती है। 

वार्षिक उत्सव

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भक्त उनके जीवन, उपदेशों और उनके प्रेम की महत्वपूर्ण घटनाओं को सम्मानित करने के लिए जमा होते हैं, जो उन्होंने अपनी जीवनी में शामिल किया। निम् करोली बाबा को हनुमान का अवतार माना जाता हैं। 

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अनगिनत तीर्थयात्रियों के लिए, कैंची धाम बस एक भौतिक गंतव्य नहीं है; यह एक पवित्र जगह है जो आंतरिक परिवर्तन को शुरू करने में मदद करती है। 

तीर्थयात्रा और आंतरिक परिवर्तन

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कैंची धाम आज भी एक आध्यात्मिक बोध, प्रेम और भक्ति की बगियां है जो नीम करोली बाबा की विरासत को आगे ले जाती है। 

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