दीवाना बना लेंगे आपको तुंगनाथ के ये 7 सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – Tungnath Trip

Tungnath Trip

Tungnath Trip Plan – ऊँचे ऊँचे पहाड़, लम्बे लम्बे पेड़ और सुन्दर सुन्दर फूल किसे पसंद नहीं आते। यदि आपका मन भी ऐसी जगहों पर घूमने का करता है, तो आपको तुंगनाथ का ट्रिप प्लान करना चाहिए। यह जगह बहुत ही शानदार और आकर्षक है। यहां पर आप ट्रैकिंग भी कर सकते है। तुंगनाथ की पूरी जानकारी पाने के लिए इस आर्टिकल को आखिर तक पढ़ें। ताकि आप अपने Tungnath Tour को खूबसूरत बना सकें। 

इस पोस्ट में आप तुंगनाथ के बारे में विस्तार से जानेंगे कि तुंगनाथ का इतिहास क्या है, तुंगनाथ की संस्कृति क्या है, तुंगनाथ का प्राकृतिक सौंदर्य कैसा है, वहां के त्यौहार कौन कौन से हैं, रहन सहन, पारंपरिक पहनावा, नृत्य और खानपान कैसा है। इसके अलावा आप यह भी जानेंगे कि तुंगनाथ में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह कौन सी है, घूमने का सही समय क्या है, तुंगनाथ में कहां ठहरें, कैसे पहुंचें, खर्चा कितना आयेगा इत्यादि। 

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप आसानी से अपनी Tungnath Trip Plan कर सकेंगे। तो देर किस बात की आइए आगे बढ़ते हैं।

तुंगनाथ से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स (Some Important Points About Tungnath) –

हिल स्टेशन का नामतुंगनाथ
बोली जाने वाली भाषाएंगढ़वाली और कुमाऊंनी
किस लिए फेमस हैयहां का तुंगनाथ मंदिर दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है
तुंगनाथ में किसकी पूजा होती हैभगवान शिव की 
तुंगनाथ कब जाना चाहिएअप्रैल से नवंबर

तुंगनाथ का इतिहास (History of Tungnath in Hindi) –

तुंगनाथ उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल, रुद्रप्रयाग जिले में स्थित। यह एक पर्वत है, जो तुंगनाथ पर्वत के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस पर्वत पर ही स्थित है तुंगनाथ मंदिर। यह मंदिर 3460 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर पंच केदारों में से सबसे ऊँचाई पर बसा हुआ है। तुंगनाथ मंदिर एक हजार साल पुराना है। इस अनोखे मंदिर में लोगों द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती है।

वहीं इसके इतिहास के बारे में बात की जाए तो इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। पांडव महाभारत युद्ध में मारे गए लोगों के कारण बहुत दुखी थे। वो इस दुःख से मुक्ति पाना चाहते थे, इसलिए इस स्थान पर आये। उन्होंने भगवान शिव को खुश करने के लिए तुंगनाथ मंदिर का निर्माण किया था। ऐसा भी माना जाता है कि यह वह जगह है, जहाँ पर माता पार्वती ने शिवजी से शादी करने के लिए तपस्या की थी। 

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तुंगनाथ का प्राकृतिक सौंदर्य (Natural Beauty of Tungnath) –

गढ़वाल हिमालय के सबसे सुन्दर स्थानों में से एक है तुंगनाथ। जनवरी से फरवरी के महीनों में यहाँ पर चारों ओर बर्फ की चादर चढ़ी रहती है। बर्फ के कारण इस स्थान की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। जुलाई अगस्त में यहाँ पर मखमली घास के मैदान रहते हैं। साथ ही फूल भी खिले रहते हैं, जो यहाँ के प्राकृतिक वातावरण को महकाने का काम करते हैं।  

यहां का प्राकृतिक वातावरण इस स्थान की खासियत है। जिन लोगों को ट्रैकिंग पसंद है। उन्हें तुंगनाथ बहुत ही लुभाता है। चोपता से तुंगनाथ ट्रेकिंग में लगभग 1:30 घंटे का समय लगता है।

तुंगनाथ की संस्कृति (Culture of Tungnath in Hindi)

तुंगनाथ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत है। यहाँ पर मंदिर होने के कारण भक्तों की भीड़ भारी मात्रा में रहती है। लोग देश विदेश से इस सबसे ऊँचे शिव मंदिर को देखने आते हैं। यहाँ के नृत्य, रहन-सहन और त्यौहारों में तुंगनाथ की संस्कृति की झलक दिखाई दे ही जाती है। 

तुंगनाथ के त्यौहार (Festivals of Tungnath in Hindi)

तुंगनाथ न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि सांस्कृतिक प्रथाओं और त्यौहारों का केंद्र भी है। इस मंदिर में हर साल “शिवरात्रि का उत्सव” बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव में शामिल होने के लिए भक्त भारी संख्या में यहाँ पर आते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं। मंदिर में जो उत्सव मनाये जाते हैं वो सदियों पुरानी परंपराओं को दर्शाते हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखाते हैं।

इसके अलावा तुंगनाथ और इसके आसपास इन त्यौहारों को भी उत्साह के साथ मनाया जाता है। जैसे –

(1) दशहरा (Dussehra)

दशहरा एक लोकप्रिय त्यौहार है, जो पूरे देश में मनाया जाता है। इस त्यौहार को तुंगनाथ में भी बहुत अच्छे से मनाया जाता है। इस दौरान मेला भी लगता है। आसपास के गांवों के लोग इस उत्सव में भाग लेने के लिए आते हैं। 

(2) पांडव लीला (Pandava Leela)

पांडव लीला उत्सव भी उत्तराखंड में बहुत प्रसिद्ध है। इस उत्सव में महाभारत को एक नाटक के रूप में मनाया जाता है। यह हर साल कटाई का मौसम खत्म होने के बाद मनाया जाता है। 

तुंगनाथ का रहन सहन (Lifestyle of Tungnath in Hindi) –

तुंगनाथ के लोगों का रहन सहन बहुत ही सिंपल है। यहाँ पर साल भर पर्यटकों (Tourists) की भीड़ रहती है, जिस कारण यहाँ के लोग बहुत ही व्यावहारिक होते हैं। यहां के लोग पर्यटकों की बहुत मदद करते हैं। आपको यहाँ के लोगों का सरल जीवन बहुत पसंद आएगा। 

तुंगनाथ की पारंपरिक वेशभूषा (Traditional Dress of Tungnath) –

तुंगनाथ उत्तराखंड का ही हिस्सा है, जिस कारण यहां की पारंपरिक पोशाक मिलती जुलती है। यहाँ पर महिलाएं चोली और ओढनी के साथ लंबी स्कर्ट पहनती हैं, जिसे घाघरी कहा जाता है। जबकि दुल्हन की पोशाक में लहंगा, घाघरा और चोली होता है। इसके अलावा घाघरा पिछोरा या रंगवाली भी शामिल रहता हैं। ये रंगवाली या पिछोरा चांदी और सोने की परत से डिजाइन किए जाते हैं। यहां के पुरुष “धोती-कुर्ता” पहनना पसंद करते हैं। इसके साथ टोपी या पगड़ी पहनते हैं।

तुंगनाथ का नृत्य (Dance of Tungnath in Hindi) –

तुंगनाथ घाटी में कई पारम्परिक नृत्य होते हैं। इन नृत्यों के जरिये इन्होने अपनी संस्कृति को बरक़रार रखा हुआ है। तुंगनाथ के वो नृत्य इस प्रकार हैं –

  1. बगड़वाल नृत्य – बगड़वाल नृत्य तुंगनाथ के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है। यह 11 दिन तक चलता है। इस नृत्य में आसपास के कई गांवों के लोग शामिल होते हैं। इस नृत्य के समय पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।  
  2. पाण्डव नृत्य – पाण्डव नृत्य भी लोकप्रिय नृत्यों में से एक है। इस नृत्य में महाभारत के पांडवों के जीवन को दिखाया जाता है। हर साल नवंबर से फरवरी तक इस नृत्य का आयोजन किया जाता है। 
  3. चोलिया नृत्य – चोलिया नृत्य तलवार से किया जाने वाला नृत्य है, जो कुमाऊंनी जनजाति की मार्शल आर्ट परंपराओं को दर्शाता है। यह नृत्य शैली एक हजार साल पुरानी है। इसे स्थानीय राजपूत शादियों में किया जाता है। इस नृत्य में नर्तक तलवारों और ढालों के साथ नृत्य करते हैं। 
  4. मुखौटा नृत्य – इस नृत्य को मेले में किया जाता है, जो कि वैशाख के महीने में मनाया जाता है। इस नृत्य में भूमियाल देवता की पूजा की जाती है। इस उत्सव के दौरान लोग हर दिन अपने घर में पिसे हुए चावल की तैयारी करते हैं। वहीं प्रतिभागी जो होते हैं, वो पारंपरिक कपड़े और मुखौटे पहनते हैं। 
  5. झोड़ा नृत्य – यह नृत्य वसंत ऋतु के समय किया जाता है। इसे स्थानीय लोग गोल घेरे में घूमकर करते हैं। यह कुमाऊँ हिमालय का अत्यधिक लोकप्रिय नृत्य है। इस नृत्य में सभी लोग एक साथ नृत्य करते हैं।

तुंगनाथ का खानपान (Foods in Tungnath) –

तुंगनाथ बहुत ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहाँ पर खाने में कम वेराइटी ही मिलती है। लेकिन जो खाना यहाँ पर उपलब्ध है, वो बहुत ही स्वादिष्ट होता है। आप तुंगनाथ में इन जगहों पर जाकर खाने का स्वाद ले सकते हैं, जैसे – 

  1. मोक्ष कैफे – यह तुंगनाथ मंदिर से 1.7 किमी की दूरी पर है। यह कैफे रुद्रप्रयाग जिले का सर्वोत्तम कैफे है। यहाँ का खाना आपको लजीज मिलेगा। 
  2. शिवांश कैफे और रेस्टो – यह कैफे ऊखीमठ, चोपता, गोपेश्वर रोड ग्राम पोस्ट सराय के पास आता है। यहाँ भी आपको बहुत ही अच्छा खाना मिलेगा। साथ ही यहाँ से प्राकृतिक नज़ारे भी देखने को मिलते हैं। यह तुंगनाथ मंदिर से 1.8 किमी दूर है। 
  3. ब्लिस व्हाइट कैफे – यह उखीमठ में स्थित है। यह तुंगनाथ मंदिर से 10 कि.मी दूर है। यहाँ भी आपको आपकी पसंद का खाना मिल जायेगा। 
  4. कैलाश रेजीडेंसी – यह नारायण कोटि में स्थित है। इस रेजीडेंसी की दूरी तुंगनाथ मंदिर से 14.6 किमी है। 
  5. स्मॉल टाउन स्टेशन – यह उखीमठ रोड तल्ला गांव में है। यह तुंगनाथ मंदिर से लगभग 12 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यहाँ भी आपको आपकी मनपसंद का खाना मिल जायेगा। 

तुंगनाथ घूमने का सबसे बेहतरीन समय (Best Time to Visit Tungnath) –

Tungnath Trip Plan – तुंगनाथ की सुरक्षित और आनंददायक यात्रा करने के लिए योजना बनाना जरूरी होता है। इसके लिए मौसम, तापमान और सीज़न पर सावधानीपूर्वक विचार भी जरूरी है। तुंगनाथ जाने के लिए सबसे अच्छा समय मई के अंत से लेकर जून की शुरुआत तक रहता है। इस मौसम में बर्फ नहीं रहती। चारों ओर हरियाली और खिले हुए फूल दिखाई देते हैं, जो यहां की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं। 

तुंगनाथ में घूमने लायक जगह (Places to Visit in Tungnath) –

Places to Visit in Tungnath
Best tourist places to visit in Tungnath: Image Source

1) तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple)-

तुंगनाथ में तुंगनाथ मंदिर दुनियाभर में फेमस है। यहां लोग दूर दूर से दर्शन करने आते हैं। हजार साल पुराने इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था। 

तुंगनाथ की वास्तुकला (Architecture of Tungnath) – तुंगनाथ मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित एक खूबसूरत मंदिर है, जो कि नागर स्थापत्य शैली में बना हुआ है। यह मंदिर पत्थरों से बना है। साथ ही इसमें मीनारें भी शामिल हैं। इसके सबसे ऊंचे गुंबद पर लकड़ी से बना हुआ एक मंच है, जिसमें 16 छेद हैं। मंदिर की छत सुंदर लकड़ी की नक्काशी से बनी हुयी है, जिस पर पत्थर की पट्टियां बनी हैं। मंदिर की दीवारों पर हिंदू देवताओं की प्राचीन मूर्तियां भी हैं। मंदिर के अंदर भगवान शिव की मूर्ति है और सामने मंदिर के प्रवेश द्वार पर ‘नंदी’ की एक मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर उत्कृष्ट प्राचीन वास्तुकला का अच्छा उदाहरण है।

मंदिर जाने का समय – 6:00 AM – 7:00 PM

2) देवरिया ताल चोपता (Deoria Tal Chopta) –

रूद्रप्रयाग जिले में स्थित देवरिया ताल नामक एक झील है। यह उखीमठ मार्ग पर सारी गाँव से करीब 2 किमी दूर स्थित है। यह एक बहुत ही आकर्षक झील है। देवरिया ताल की झील से चौखंबा की चोटियों को बहुत ही आराम से देखा जा सकता है। देवरिया ताल झील देवदारों के पेड़ों से भरी हुई है। टूरिस्ट इस जगह को बहुत पसंद करते हैं। 

3) कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य चोपता (Kanchula Korak Musk Deer Sanctuary) –

कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य चोपता का Famous Tourist Place है। यह उत्तराखंड का राष्ट्रीय पशु कस्तूरी मृग है। यहाँ पर आपको कस्तूरी मृग आसानी से देखने को मिलते हैं। पर्यटकों को यह जगह अपनी तरफ बहुत ही आकर्षित करती है। इतना ही नहीं यहाँ पर अनेक प्रकार की वनस्पतियां भी पाई जाती हैं। बता दें कि कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य में हिरण की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसका पता वैज्ञानिक अभी तक नहीं लगा पाए हैं। 

4) चोपता उत्तराखंड (Chopta) –

तुंगनाथ उत्तराखंड में चोपता एक बहुत ही छोटा सा गांव है, जोकि एक शानदार पर्यटन स्थल है। ट्रैकिंग के लिए यह जगह बहुत आकर्षक है। यह गाँव अल्पाइन और देवदार के वृक्षो से घिरा हुआ है। चोपता से होते हुए ही तुंगनाथ की चोटी तक पहुंचा जा सकता है।

5) ऊखीमठ चोपता (Ukhimath Chopta) –

ऊखीमठ उत्तराखंड के चोपता का बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल है। यहाँ पर भगवान शिव और माँ पार्वती के कई पुराने मंदिर हैं। यहाँ पर ही बाणासुर, अनिरुद्ध और उषा की कहानियों की जानकारी भी छुपी हुई है। 

6) चन्द्रशिला शिखर (Chandrashila Peak) –

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चंद्रशिला तुंगनाथ गाँव का शिखर बिंदु है। इसे “मून रॉक” के नाम से भी जाना जाता है। चन्द्रशिला पांच चोटियों के शिखर के रूप में भी फेमस है, जिसे त्रिशूल, नंदादेवी, बंदर पंच, केदार और चौखम्बा के नाम से जानते हैं। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से करीब  4000 मीटर है। यह Tourist Place हिमालय जैसा दिखता है। चन्द्रशिला और तुंगनाथ के बीच की दूरी करीब 3 से 4 किमी है। तुंगनाथ से चंद्रशिला के बीच टूरिस्ट ट्रेकिंग का मजा लेते हैं। 

7) बिसुरीताल झील (Bisurital Lake) –

बिसुरीताल झील उत्तराखंड के प्रमुख ट्रेकिंग डेस्टिनेशन में से एक है। यह चोपता से 60 किमी के ट्रेक पर बना हुआ है। इस झील की खास बात है यह कि बिसुरीताल का बनना गर्मियों के मौसम में पहाड़ों पर जमी हुई बर्फ़ के पिघलने के कारण होता है। बिसुरीताल झील में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इतना ही नहीं इसके पानी में नहाने से त्वचा संबंधी कई समस्याएं ठीक हो जाती हैं।

तुंगनाथ में रुकने की जगह (Where to Stay in Tungnath) –

तुंगनाथ में यदि आप रुकने के लिए जगह ढूंढ रहे हैं, तो आप अपने बजट के अनुसार होटल्स ले सकते हैं। यहाँ आपको कई होटल्स और लॉज मिल जायेंगे, जैसे – 

  • मोक्ष होटल
  • गुरु कृपा पैलेस एंड अंशु होटल
  • फारेस्ट इको रिसोर्ट
  • हॉलिडे पार्क होटल 
  • सृष्टि लॉज होटल इत्यादि।

तुंगनाथ घूमने के लिए बजट (Budget to Visit Tungnath) –

तुंगनाथ घूमने के लिए आपको हरिद्वार या फिर ऋषिकेश होते हुए चोपता जाना होगा। इसके लिए बजट कुछ इस प्रकार हैं –

हरिद्वार से चोपता का खर्च :-

हरिद्वार से चोपता –  ₹ 450 (बस, प्रति व्यक्ति)

दोनों तरफ का – ₹ 900

ब्रेकफास्ट और लंच – ₹ 110 (प्रति व्यक्ति)

चोपता में रहना – ₹ 600 (प्रति व्यक्ति एक दिन का)

टोटल – ₹ 2060 (एक दिन का)

चोपता से तुंगनाथ मंदिर – ब्रेकफास्ट और लंच – ₹ 120

प्रसाद (तुंगनाथ मंदिर) – ₹ 40

टोटल – ₹ 2060 +₹ 160 = ₹ 2220  

तुंगनाथ कैसे पहुंचे (How to Reach Tungnath) –

तुंगनाथ पहुंचने के लिए आपको कई ऑप्शन मिल जायेंगे, जैसे – 

हवाई जहाज द्वारा (By Airplane) – तुंगनाथ का अपना एयरपोर्ट नहीं है। लेकिन सबसे निकटतम एयरपोर्ट देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो करीब 225 किलोमीटर दूर है। यहाँ से आपको तुंगनाथ जाने के लिए स्थानीय बस, टैक्सी आदि मिल जायेंगे। लेकिन तुंगनाथ तक पहुंचने के लिए कुछ किलोमीटर तक घोड़ा, खच्चर या फिर पैदल चढ़ाई भी रहती है।

ट्रेन द्वारा (By Train) – आप यदि ट्रेन से तुंगनाथ के लिए जाना चाहते हैं, तो आपके लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन रहेगा। यहाँ से तुंगनाथ की दूरी लगभग 210 किलोमीटर है। यहाँ से तुंगनाथ पहुंचने के लिए ऋषिकेश से टैक्सी किराये पर ली जा सकती है या बस भी ले सकते हैं। इसके अलावा आप हरिद्वार रेलवे स्टेशन को भी चुन सकते हैं। यहाँ से तुंगनाथ की दूरी लगभग 234 किलोमीटर है। तुंगनाथ के लिए रेलवे स्टेशन पर टैक्सियाँ और बसें आसानी से मिल जाती हैं।

सड़क मार्ग द्वारा (By Road) – तुंगनाथ सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से जाने पर हिमालय के सुन्दर नज़ारे भी दिखाई देते हैं। राज्य संचालित और निजी बसें ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून जैसे प्रमुख शहरों से नियमित रूप से चलती हैं। इसके अलावा डीलक्स और वोल्वो बसें भी तुंगनाथ के लिए आसानी से मिल जाती हैं। 

FAQs –

Q. तुंगनाथ में कौन–कौन से त्यौहार मनाए जाते हैं?

A. तुंगनाथ में शिवरात्रि, दशहरा, पांडव लीला जैसे त्यौहारों को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।  

Q. तुंगनाथ का लोक नृत्य कौनसा है?

A. तुंगनाथ का पाण्डव नृत्य बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा मुखोठा नृत्य, बगड़वाल नृत्य और चोलिया नृत्य भी काफी लोकप्रिय है। 

Q. तुंगनाथ कब घूमने जाना चाहिए?

A. तुंगनाथ घूमने के लिए मई से लेकर जून तक का समय बहुत अच्छा रहता है।  

Q. तुंगनाथ भारत में कहां पर स्थित है? 

A. तुंगनाथ, उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है। इस पर्वत पर बना शिव मंदिर तुंगनाथ मंदिर कहलाता है।

Q. तुंगनाथ क्यों प्रसिद्ध है?

A. तुंगनाथ पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर एक हजार साल पुराना माना जाता है। यहाँ भगवान भोलेनाथ की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। इन्हीं सब कारणों से तुंगनाथ प्रसिद्ध है।

निष्कर्ष (Conclusion) –

इस आर्टिकल में हमने आपको तुंगनाथ से जुड़ी सारी जानकारी दी है। हमने आपको तुंगनाथ का इतिहास, संस्कृति, खान-पान, वहां का रहन सहन, त्यौहार और पारंपरिक पहनावे के बारे में भी बताया है। आप यदि Tungnath Trip Plan कर रहे हैं, तो आपको वहां किस मौसम में जाना चाहिए और आप कहाँ कहाँ घूम सकते हैं इसकी भी जानकारी दी है। आप तुंगनाथ कैसे जाएं, कहाँ रुकें और वहां जाने के लिए कितना बजट लगेगा यह भी हमने आपको इस आर्टिकल में बता दिया।

आशा है कि आपको तुंगनाथ से जुड़ी सारी जानकारी Helpful लगी होगी। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया हो, तो आप इसे सोशल मीडिया पर भी शेयर करें, Thanks!

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