त्रिपुरा एक ऐसा राज्य है, जो कि प्राकृतिक आकर्षण से भरपूर है। यहाँ घने जंगल, नदियाँ, झरने, और ऊँचे ऊँचे पहाड़ हैं, देखने में बहुत ही मनमोहक लगते हैं। हर साल लाखों लोग इस सुन्दर राज्य को देखने आते हैं। यदि आप भी त्रिपुरा का Trip Plan करना चाहते हैं तो पहले इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें। इसके लिए आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इसे पढ़ने के बाद आपका मन जरूर त्रिपुरा घूमने को करने लगेगा।
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त्रिपुरा उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित एक छोटा सा राज्य है, जिसकी राजधानी अगरतला है। यह पहाड़ियों और प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ राज्य है। यहाँ की कला, संस्कृति और लोक नृत्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस राज्य के बारे में और ज्यादा जानने के लिए पहले हम इसके इतिहास (Tripura History) के बारे में जान लेते हैं।
त्रिपुरा का इतिहास इन हिंदी (History of Tripura in Hindi) –
त्रिपुरा के इतिहास की बात करें तो इसका इतिहास लम्बा और बहुत पुराना है। 14वीं शताब्दी में त्रिपुरा नरेश की सहायता बंगाल के शासकों ने की, जिसका उल्लेख भी मिलता है। त्रिपुरा राज्य को कई बार मुगलों के आक्रमण का सामना भी करना पड़ा है। किरीत बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर देबबर्मा जो त्रिपुरा के अंतिम शासक हुए, उन्होंने 1947 ई. से 1949 ई. तक त्रिपुरा पर राज किया। उसके बाद 9 सितंबर 1949 ई. में इस रियासत को भारत गणराज्य में मिला लिया गया।
“त्रिपुरा 1 जुलाई 1963 ई. को एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया और फिर 21 जनवरी 1972 ई. को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया। “
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त्रिपुरा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स –
राज्य का नाम | त्रिपुरा |
राजधानी का नाम | अगरतला |
कब स्थापना हुई | 21 जनवरी 1972 |
क्षेत्रफल | लगभग 10,492 वर्ग किलोमीटर |
कुल जिले | 8 |
कुल जनसंख्या | तकरीबन 36,73,917 |
जनसंख्या का घनत्व | 350 |
साक्षरता | 80.02% |
बोली जाने वाली भाषाएं | बंगाली, कोक बोरोक, अंग्रेजी |
किस लिए फेमस है | त्रिपुरा सुंदरी मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। |
त्रिपुरा की संस्कृति (Culture of Tripura in Hindi) –
त्रिपुरा में बंगाली और मणिपुरी समुदाय रहता है। इसके अलावा 19 आदिवासी समुदाय भी त्रिपुरा में निवास करता है। इस कारण यहाँ की संस्कृति मिश्रित संस्कृति है। बंगाली और त्रिपुरी भाषा (कोक बोरोक) त्रिपुरा की मुख्य भाषाएं हैं। इसके अलावा हिंदी, चकमा, और मोघ भाषा भी यहां पर बोली जाती है। त्रिपुरा राज्य अपनी संस्कृति और परंपरा में बहुत समृद्ध है। यह अपने त्यौहारों और लोक नृत्यों के जरिये अपनी संस्कृति को बहुत ही अच्छे तरीके से निभाते हैं।
त्रिपुरा के त्यौहार (Festivals of Tripura in Hindi) –
त्रिपुरा अपने त्यौहारों को बहुत ही पारम्परिक तरीके से मनाता आ रहा है। यहाँ पर देश के अन्य त्यौहारों को तो मनाया ही जाता है, साथ ही त्रिपुरा के कुछ अपने भी त्यौहार हैं, जिन्हे उत्साह के साथ मनाया जाता है। त्रिपुरा के मुख्य त्यौहार इस प्रकार हैं –
खर्ची पूजा त्यौहार (Kharchi Puja Festival) –
यह त्रिपुरा का सबसे मुख्य त्यौहार है। इस त्यौहार को त्रिपुरा का प्रत्येक नागरिक जोश के साथ मनाता है। इस त्यौहार को सात दिनों तक मनाया जाता है। खर्ची पूजा में चौदह इष्ट देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। यह त्यौहार जुलाई के महीने में आता है। इसे अगरतला में मनाया जाता है।
गरिया पूजा (Garia Puja) –
गरिया पूजा त्रिपुरा के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। इस पूजा में बांस से बाबा गरिया की प्रतिमा को बनाते हैं। फिर उन्हें फूल मालाओं से सजाया जाता है। इस पूजा में सूती धागे, चावल, चिकन चिक, चावल से बना हुआ बियर, शराब, मिट्टी के बर्तन, अंगूर के रस और अंडे का इस्तेमाल किया जाता है। बाबा को प्रसन्न करने के लिए मुर्गे की बलि भी दी जाती है।
केर पूजा (Ker Pooja) –
यह त्यौहार भी त्रिपुरा के मुख्य त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार जुलाई से अगस्त के बीच में मनाया जाता है। यह पूजा खर्ची पूजा के बाद आती है। इसमें वास्तु देवता की पूजा की जाती है। इस पूजा में हलाम जनजाति का होना बहुत जरूरी होता है।
नीरमहल महोत्सव (Neermahal Festival) –
यह भी त्रिपुरा का प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार हर साल अगस्त और दिसंबर महीने में मनाया जाता है। इसमें रुद्रसागर झील पर नौका दौड़ का आयोजन होता है, जो देखने में बहुत आकर्षक लगती है।
पौष या तीर्थमुख मेला (Poush or Tirthamukh Mela) –
यह दो दिनों तक चलने वाला उत्सव होता है। इसे त्रिपुरा के गोमती नदी के उद्गम स्थल तीर्थमुख पर मनाया जाता है। यह जनवरी के महीने में होता है।
इसके अलावा दिवाली के त्यौहार को भी त्रिपुरा में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, क्योंकि यह भी इनके प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इसके साथ साथ उनाकोटि महोत्सव या अशोकाष्टमी महोत्सव, बुद्ध जयंती महोत्सव, पिलक पुरातत्व, पर्यटन महोत्सव, और गंगा पूजा महोत्सव को भी यहां बहुत अच्छे से मनाया जाता है।
त्रिपुरा का रहन सहन (Lifestyle of Tripura in Hindi) –
त्रिपुरा का रहन सहन बहुत ही सिंपल और सरल है। यहाँ के लोग नृत्य और अपनी संस्कृति में जीते हैं। अपने त्यौहारों को ख़ुशी के साथ मनाते हैं। यदि आप त्रिपुरा जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको वहां का रहन रहन अच्छा लगेगा। आपको वहां के लोगों का व्यवहार भी पसंद आएगा।
त्रिपुरा की पारंपरिक पोशाक (Traditional Dress of Tripura) –
त्रिपुरा का पारम्परिक पहनावा बहुत आकर्षक होता है। यहाँ की महिलाएं रिनई नामक वस्त्र पहनती हैं। यह एक लम्बा कपड़ा होता है, जो कि कमर के चारों तरफ लपेटा जाता है। इसके अलावा महिलाएं रीसा नामक कपड़े को भी पहनती हैं। वहीं लुशाई जनजाति की महिलाएं स्कर्ट या पेटीकोट की तरह गहरे नीले रंग का सूती वस्त्र पहनती हैं। उनका यह कपड़ा पीतल के तार से बंधा रहता है। त्रिपुरा के पुरुष एक तौलिया जैसे चादर को पहनते हैं, जिसे रिकुटु गमचा कहते हैं। धूप से बचने के लिए यहां के पुरुष पगड़ी का इस्तेमाल करते हैं।
त्रिपुरा का नृत्य (Dance of Tripura in Hindi) –
त्रिपुरा के लोक नृत्य भी बहुत अच्छे होते हैं, जो इन्हे देखता है वह इन नृत्यों को देखता ही रह जाता है। यदि आप त्रिपुरा घूमने जाते हैं तो यहाँ के लोक नृत्यों का आनंद जरूर लें। यहाँ के लोक नृत्य इस प्रकार हैं –
गरिया नृत्य (Garia Dance) –
गरिया पूजा के समय इस नृत्य को किया जाता है। इस नृत्य के जरिये देवी देवताओं को प्रसन्न किया जाता है। इस नृत्य में पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल रहते हैं। अच्छी फसल के लिए इस नृत्य के जरिये भगवान् गरिया से प्रार्थना की जाती है।
होजागिरी नृत्य (Hojagiri Dance) –
यह लोक नृत्य त्रिपुरा के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। रियांग समुदाय की छोटी लड़कियां इस नृत्य को करती हैं। इस नृत्य में वो घड़ो पर खड़ी होती हैं और अपने सिर पर बोतल रखती हैं और फिर नृत्य करती हैं। उनका यह संतुलन देखने लायक होता है।
लेबांग बूमानी नृत्य (Lebang Boomani Dance) –
यह त्रिपुरा का प्रसिद्ध फसल नृत्य है। इस नृत्य के द्वारा लेबांग नाम के एक रंगीन कीड़े को पकड़ा जाता है। पुरुष हांथो में बांस से मधुर ध्वनि निकालते है, और महिलाएं इन कीड़ों को पकड़ती हैं।
बीजू नृत्य (Biju Dance) –
इस नृत्य को चकमा समुदाय द्वारा किया जाता है। यह ‘चैत्र-संक्रांति’ बंगाली कैलेंडर के अनुसार साल के अंत को बताता है। इसमें चकमा गीत को गाया जाता है। लोग इस नृत्य के द्वारा नए साल के आने की ख़ुशी मनाते हैं।
वांगला नृत्य (Wangala Dance) –
वांगला को अच्छी फसल होने पर त्रिपुरा के हर घर में मनाया जाता है। इसमें फसल का पहला चावल खाने की रसम की जाती है। इस त्यौहार पर कद्दू की बलि दी जाती है। उसके बाद महिलाएं वांगला नृत्य करती हैं।
इसके अलावा संगराई नृत्य, चेरव नृत्य, स्वागत नृत्य, और हय-हक नृत्य भी त्रिपुरा में किये जाते हैं।
त्रिपुरा का खान-पान (Tripura Food in Hindi) –
त्रिपुरा का खानपान बहुत स्वादिष्ट होता है। यहाँ के लोगों का मुख्य भोजन चावल, मछली और सब्जियां होती हैं। इसके अलावा भी यहाँ की फेमस डिश इस प्रकार है –
कोसाई बवती (Kosai Bavti) – यह डिश मछली से बनायी जाती है। मसालों का उपयोग कर इसे बहुत ही लजीज तरीके से बनाया जाता है।
मुई बोरोक (Mui Borok) – यह त्रिपुरा की पारंपरिक डिश है। इसे बरमा नाम की मछली से बनाया जाता है।
गुडोक (Gudok) – इसे सब्जियों और किण्वित मछली के साथ बनाया जाता है। इस डिश को विशेष त्यौहार या फिर किसी विशेष अवसर पर बनाया जाता है।
पंच फोरन तरकारी (Panch Phoron Tarkari) – यह डिश सब्जियों के मिश्रण से बनायी जाती है। इसमें पांच प्रकार के मसालों का उपयोग किया जाता है।
वहान मोस्डेंग (Wahan Mosdeng) – त्रिपुरा की पारंपरिक डिश में इसका नाम भी शामिल है। इस डिश को सुअर के मांस से तैयार की जाती है।
मोसडेंग सरमा (Mosdeng Serma) – यह एक प्रकार की टमाटर की चटनी होती है, जो बहुत ही Tasty होती है।
चुआक (Chuak) – यह चावल की बीयर होती है, जिसे चावल से तैयार किया जाता है। त्यौहारों पर इसे बहुत ही चाव से बनाया जाता है।
भंगुई (Bhangui) – यह भी चावल से बनायी गयी एक डिश होती है, जिसे केले के पत्ते पर तैयार किया जाता है।
त्रिपुरा घूमने जाने का सबसे बेहतरीन समय (Best Time to Visit Tripura) –
यदि आप त्रिपुरा घूमने जाना चाहते हैं तो आप अक्टूबर से फरवरी के बीच ही जाएँ। इस मौसम में त्रिपुरा का मौसम घूमने लायक होता है। आपको यहाँ के नजारों को देखने में कोई परेशानी भी नहीं आएगी। त्रिपुरा एक पहाड़ी राज्य है, इसलिए बारिश के मौसम में यहाँ जाने से बचना चाहिए। क्योंकि यहाँ पर बारिश ज्यादा होती है, इसलिए वहां घूमने में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
त्रिपुरा में घूमने लायक जगह (Best Places to Visit in Tripura) –
आप त्रिपुरा का ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो पहले आपको यहाँ की फेसम जगहों के बारे में भी पता होना चाहिए, ताकि आप त्रिपुरा की सभी जगहों को अच्छे से देख सकें। यहाँ की घूमने वाली जगहे इस प्रकार हैं –
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (Tripura Sundari Temple) –
यह मंदिर दुनियाँ भर में प्रसिद्ध है। इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इस प्राचीन मंदिर को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। 51 शक्ति पीठ में से एक यह शक्ति पीठ है।
जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) –
त्रिपुरा का जगन्नाथ मंदिर भी प्रसिद्ध होने के कारण Tourists इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में है।
उज्जयंत पैलेस (Ujjayanta Palace) –
यह बहुत ही खूबसूरत पैलेस है, जो बहुत ही पुराना है। यह पैलेस छोटी नदी के किनारे बना हुआ है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
नीरमहल (Neermahal) –
इस महल को “द लेक पैलेस ऑफ त्रिपुरा” भी कहा जाता है। यह महल राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा बनवाया गया है। यह महल आकर्षक तरीके से बना हुआ है, जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।
कैलाशहर (Kailashahar) –
यह अगरतला में स्थित है। यहाँ पर ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल हैं, जो बहुत ही खूबसूरत हैं। इस लिए लोग यहाँ पर आते हैं।
इसके अलावा आप त्रिपुरा की और भी जगहों को देख सकते हैं, जैसे –
- सिपाहीजला वन्यजीव अभयारण्य
- हेरिटेज पार्क
- उनाकोटी
- बुद्ध मंदिर
- बाइसन राष्ट्रीय उद्यान
- त्रिपुरा राज्य संग्रहालय
- जम्पुई हिल्स
- पिलाक
- तेपनिया इको पार्क
- देवतामुरा
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त्रिपुरा कैसे जा सकते हैं (How to Reach Tripura) –
त्रिपुरा पहुंचने के लिए आपको बहुत सारे ऑप्शन मिल जायेंगे। आप अपनी सुविधा के अनुसार इन्हें चुन सकते हैं, जैसे –
सड़क मार्ग से (By Road) – यदि आप बस से त्रिपुरा जाना चाहते हैं तो आपको बता दे कि यहाँ पर सड़क की अच्छी कनेक्टिविटी है। इसलिए आपको त्रिपुरा के लिए अच्छी बसें आसानी से मिल जाएंगी। यदि आप अपने निजी वाहन से वहां जाना चाहते हैं तो भी आप जा सकते हैं।
ट्रेन मार्ग से (By Train) – यदि आप ट्रेन से यात्रा (Travel) करना चाहते हैं तो आपको त्रिपुरा के सबसे नजदीक कुमारघाट रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। यह त्रिपुरा से 140 किमी की दूरी पर है। यहां से आप टैक्सी ले सकते हैं।
हवाई मार्ग से (By Airplane) – यदि आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो आपको अगरतला हवाई अड्डा चुनना होगा। इसके बाद आप ऑटो या फिर टैक्सी से जा सकते हैं।
FAQs –
Q. त्रिपुरा में कौन–कौन से त्यौहार मनाए जाते हैं?
A. त्रिपुरा में खर्ची पूजा महोत्सव को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा गरिया पूजा, केर पूजा, नीरमहल महोत्सव, तीर्थमुख मेला जैसे त्यौहारों को भी मनाया जाता है।
Q. त्रिपुरा का लोक नृत्य कौनसा है?
A. त्रिपुरा का मुख्य लोक नृत्य “होजागिरी नृत्य” है। इसके अलावा गरिया नृत्य, लेबांग बूमानी नृत्य, बिझू नृत्य, और वांगला नृत्य भी त्रिपुरा के लोक नृत्य हैं।
Q. त्रिपुरा में कौन सा खेल सबसे प्रमुख है?
A. त्रिपुरा का सबसे प्रमुख खेल गेला-चुट्ट है।
Q. त्रिपुरा भारत में कहां पर स्थित है?
A. त्रिपुरा भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में बसा हुआ एक राज्य है। यह भारत देश के तीसरे सबसे छोटे राज्य में शामिल है। इसकी राजधानी अगरतला है।
Q. त्रिपुरा क्यों प्रसिद्ध है?
A. त्रिपुरा में त्रिपुरा सुंदरी मंदिर प्रसिद्ध है। यह 51 शक्ति पीठो में से एक है।
निष्कर्ष (Conclusion) –
इस आर्टिकल में हमने आपको त्रिपुरा के बारे में पूरी जानकारी दी है। इसमें आपने त्रिपुरा का इतिहास, संस्कृति, वहां की भाषाएं, पहनावा, त्रिपुरा के त्यौहार, लोक नृत्य, त्रिपुरा का रहन सहन और फेमस फूड्स के बारे में जाना। इसके अलावा आपने यह भी जाना कि त्रिपुरा किस मौसम में जाना आपके लिए अच्छा है, आप वहां कहाँ कहाँ घूम सकते हैं, और आप त्रिपुरा कैसे पहुंच सकते हैं यह भी आपको इस लेख में पता चल गया है।
आशा है कि आपको त्रिपुरा से जुड़ी यह सारी जानकारी अच्छी लगी होगी। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया हो आप इसे सोशल मिडिया पर अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेयर करे, Thanks!