आप ऐसी जगह घूमने जाएं, जहाँ आप प्राकृतिक नजारों के साथ साथ यदि धार्मिक स्थलों पर भी जा सकें, तो यह सोने पर सुहागा हो जाता है। उत्तराखंड का मुक्तेश्वर भी कुछ इसी तरह का टूरिस्ट प्लेस है। यहाँ पर आपको चारों तरफ हरियाली, ऊँचे ऊँचे पहाड़ और प्राचीन मंदिर देखने को मिल जायेंगे। इस जगह का ट्रिप प्लान बनाने से पहले मुक्तेश्वर के बारे में पूरी तरह से जान लें, ताकि आपको रास्ते में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। इसके लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
मुक्तेश्वर का आकर्षक इतिहास (History of Mukteshwar)
उत्तराखंड के खूबसूरत हिल स्टेशनों में मुक्तेश्वर का नाम भी शामिल है। यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले में आता है। यह जगह शानदार घाटियों से घिरी हुई है। प्राकृतिक सुंदरता को समेटे हुए यह एक ऐसी जगह है, जिसे आप मिस नहीं करना चाहेंगे।
मुक्तेश्वर का नाम मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से लिया गया है, जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के समय इस मंदिर का निर्माण कराया था। पांडवों ने देवी मां चिंतपूर्णी की पूजा करने के बाद अपने रहने के लिए इस सुंदर और शांत स्थान को चुना था।
पांचों भाइयों ने पांच गुफाएं बनाई और छह महीने तक यहां रहे। उन्होंने एक शिवलिंग की पूजा की, जिसे उन्होंने बनाया था, ताकि वे भविष्य के युद्ध को जीतने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। मुक्तेश्वर, जिसे पहले मुक्तेश्वर कहा जाता था, 1893 तक अपने मंदिरों और तीर्थ स्थलों के लिए प्रसिद्ध था।
मुक्तेश्वर से रिलेटेड कुछ महत्वपूर्ण तथ्य (Some Important Points Related to Mukteshwar)
गांव का नाम | मुक्तेश्वर |
राज्य का नाम | उत्तराखंड |
जिले का नाम | नैनीताल |
बोली जाने वाली भाषाएं | कुमाउनी, गढ़वाली, हिंदी, संस्कृत |
कुल जनसंख्या | 812 |
समुद्र तल से ऊंचाई | 7500 फीट |
किस लिए प्रसिद्ध है | हिमालय का नजदीक से सुन्दर नजारा देखने के लिए प्रसिद्ध है। |
मुक्तेश्वर की विशेषताएं (Features of Mukteshwar)
- मुक्तेश्वर में आप रॉक क्लाइम्बिंग और रैपलिंग कर सकते हैं।
- मुक्तेश्वर के जंगल दुर्लभ वनस्पतियों और जीवों से भरे हुए हैं, जिन्हें आप आसानी से देख सकते हैं।
- इस शहर में कई फलों के बाग भी हैं, जो पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
- मुक्तेश्वर के आसपास के देवदार के जंगल बाघों और भालुओं का घर हैं। ज्यादातर लोग इन जानवरों की एक झलक पाने की उम्मीद में इन जंगलों में आते हैं।
मुक्तेश्वर की संस्कृति (Culture of Mukteshwar in Hindi)
मुक्तेश्वर में रहने वाले लोग कुमाऊं क्षेत्र के बाकी लोगों की तरह ही परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। ये लोग लोक कला, लोक गीत और लोक नृत्य को अपने जीवन में शामिल करते हैं, और उसी में जीते हैं। यहाँ के लोग लोक गीत और नृत्य को आज भी दावतों और विशेष त्यौहारों पर करते हैं।
इनकी पारंपरिक कुमाऊं हस्तशिल्प बनाने की कला पीढ़ियों से चली आ रही है। इस कारण यहाँ के ऊनी गलीचे, ऊनी कालीन, हाथ से बुने हुए स्वेटर और शॉल फेमस हैं। इतना ही नहीं यहाँ के स्थानीय लोग पारंपरिक तांबे के बर्तन, बांस की टोकरियाँ और भांग के पौधों से बनी रस्सियाँ भी बनाते हैं।
मुक्तेश्वर में मनाये जाने वाले त्यौहार (Festivals of Mukteshwar in Hindi)
मुक्तेश्वर में रहने वाले लोग मकर संक्रांति, गंगा दशहरा, महा शिव रात्रि, कार्तिक पूर्णिमा जैसे त्यौहारों को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। आप यहाँ पर यदि त्यौहारों के समय जाते हैं, तो आप इन त्यौहारों का आनंद ले सकते हैं।
मुक्तेश्वर का रहन सहन (Lifestyle of Mukteshwar in Hindi)
मुक्तेश्वर के लोग सीधे और सरल होते हैं। यह काफी मेहनती और शांत स्वभाव के होते हैं। ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण यहाँ के लोगों की जीवनशैली प्राकृतिक सुंदरता और रोमांच से भरी होती है। पहाड़ो पर चढ़ना, उतरना इनके डेली रूटीन में शामिल रहता है। आपको इनका लाइफ स्टाइल बहुत साधारण दिखाई देगा, जो बहुत ही आकर्षक होता है।
मुक्तेश्वर की पारंपरिक वेशभूषा (Traditional Costumes of Mukteshwar in Hindi)
मुक्तेश्वर की महिलाएं चोली और ओढ़नी के साथ एक लंबी स्कर्ट पहनती हैं, जिसे घाघरी कहा जाता है। जबकि दुल्हन की पोशाक में लहंगा, घाघरा और चोली पहनी जाती है। इसके अलावा घाघरा पिचोरा या रंगवाली भी पहनी जाती है। ये रंगवाली या पिचोरा चांदी और सोने की सजावट के साथ डिजाइन किए जाते हैं।
पुरुष लुंगी या धोती पहनते हैं। यहाँ के पुरुष सिर पर पगड़ी पहनना पसंद करते हैं, जो उनकी पारंपरिक वेशभूषा का एक हिस्सा है। इसके अलावा यहां के पुरुष कुर्ता पायजामा, ऊनी जैकेट और स्वेटर भी पहनते हैं।
मुक्तेश्वर का नृत्य (Dance of Mukteshwar in Hindi)
यहाँ के लोगों का मुख्य नृत्य छोलिया नृत्य है, जो एक पारंपरिक नृत्य है। इसे तलवार और ढाल के साथ किया जाता है। इसके अलावा यहाँ के अन्य प्रसिद्ध नृत्य छपेली और झोड़ा हैं। यह लोक नृत्य इतने शानदार होते हैं कि इन नृत्यों को देखकर आपका मन भी उनके साथ नृत्य करने का करने लगेगा।
मुक्तेश्वर का खानपान (Mukteshwar Food in Hindi)
यहाँ के ज्यादातर स्थानीय लोग खेती करते हैं। जिस कारण यहाँ के पारंपरिक खाने में यहीं पर उगाये गए अनाज होते हैं, जैसे – गेहूँ, चावल और बाजरा आदि। इनके हाथ का बना खाना पौष्टिक होता है, क्योंकि इनमे स्थानीय जड़ी-बूटियों और मसालों को मिलाया जाता है, जो खाने को लजीज बना देते हैं। आप यहाँ की फेमस डिश का टेस्ट ले सकते हैं, जैसे –
- आलू के गुटके – यह आलू से बनी डिश होती है, जो मसालेदार और चटपटी रहती है।
- काफुली – यह पत्तेदार साग होता है, जो पालक या मेथी के पत्तों से बना एक गाढ़ा ग्रेवी वाला होता है।
- मड़ुआ की रोटी – यह कैल्शियम और फाइबर से भरपूर फिंगर मिलेट से बनी रोटी होती है।
- भट्ट की चूड़कानी – काले सोयाबीन से बना यह एक देहाती और हार्दिक दाल का व्यंजन है। इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है और यह शाकाहारियों की पसंदीदा डिश है।
- झंगोरा की खीर – यह बाजरे से बनी एक मिठाई होती है, जो आमतौर पर त्यौहारों के समय बनायी जाती है।
इसके अलावा आप गहत (कुलथ) सूप, भट्ट की चुड़कानी, बाल मिठाई, अर्सा, चुर्कानी जैसे टेस्टी खानों का भी स्वाद ले सकते हैं।
मुक्तेश्वर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Mukteshwar)
वैसे तो आप मुक्तेश्वर घूमने किसी भी मौसम में जा सकते हैं। लेकिन मार्च से जून के महीनों के बीच यहाँ का मौसम बहुत सुहावना रहता है, जो आपके ट्रिप को शानदार ट्रिप बना सकता है। जबकि मानसून के समय यहाँ की बारिश घूमने में परेशानी खड़ी कर सकती है। वहीं सर्दियों में यहां बर्फ गिरती है।
मुक्तेश्वर में घूमने लायक जगह (Places to Visit in Mukteshwar)
आप यदि मुक्तेश्वर घूमने जा रहे हैं, तो आप उसके आसपास की जगहों पर भी जा सकते हैं, जो कि बहुत ही शानदार है, जैसे –
1) मुक्तेश्वर मंदिर (Mukteshwar Temple) –
ऐसा माना जाता है कि मुक्तेश्वर मंदिर 350 साल पुराना मंदिर है, जिसे पांडवों ने बनाया था। यह मंदिर समुद्र तल से 7500 फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में शिव जी के साथ साथ पार्वती, ब्रह्मा, विष्णु, हनुमान और नंदी जी भी विराजित हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 100 सीढ़ियां हैं, जहाँ से आप प्राकृतिक नजारों का भी मजा ले सकते हैं।
मंदिर खुलने का समय – 5:00 am – 7:30 pm
2) सीतला (Sitla)
सीतला 6000 फीट ऊंचा एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। यह अपने आकर्षक रूप से बने बंगलों के लिए लोकप्रिय है। यहाँ से आप हिमालय की चोटियों को बहुत नजदीक से देख सकते हैं। लोग यहाँ पर ट्रेकिंग के लिए भी आते हैं।
3) चौली की जाली (Chauli ki Jali)
यह प्लेस मुक्तेश्वर मंदिर के पास ही है। यह जगह अपनी खूबसूरती से किसी का भी दिल जीत सकती है। यहाँ पर आप रैपलिंग और रॉक क्लाइम्बिंग भी कर सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि इसी जगह पर देवी और राक्षस के बीच युद्ध हुआ था। इस कारण इस प्लेस पर तलवार, ढाल और हाथी की सूंड की धुंधली रूप रेखाएँ दिखाई देती हैं।
4) भालू गाड़ जलप्रपात (Bhalu Gaad Waterfalls)
यदि आप प्रकृति के साथ साथ पानी का भी मजा लेना चाहते हैं, तो आप भालू गाड़ झरना घूमने भी जा सकते हैं। यह वॉटरफॉल बहुत ही शानदार है। जो भी यहाँ आता है उसे इस प्लेस से वापस जाने का मन नहीं होता है। ट्रेकिंग करने वालों को भी यह वॉटरफॉल लुभाता है।
5) नंदा देवी (Nanda Devi)
नंदा देवी अपने आप में बहुत फेमस प्लेस है। भक्त लोग यहाँ देवी माता के दर्शन करने आते है। यह भारत की दूसरी और दुनिया की 23वीं सबसे ऊंची चोटी है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 7,816 मीटर है। मुक्तेश्वर से यह पर्वत शिखर साफ दिखाई देता है। मुक्तेश्वर आने वाले पर्यटकों को इस मनमोहक सुंदरता को जरूर देखना चाहिए।
6) मुक्तेश्वर निरीक्षण बंगला (Mukteshwar Inspection Bungalow)
यह मुक्तेश्वर के सबसे खास स्मारकों में से एक है। इस विला का उपयोग प्रसिद्ध बाघ शिकारी जिम कॉर्बेट ने 1929 में किया था। यहाँ से हिमालय पर्वतमाला के लुभावने नाजारे दिखाई देते हैं। पर्टयकों को यहाँ पर रुकने की व्यवस्था भी मिल जाती है। आप यहाँ रुककर हिमालय से सनसेट और सनराइज का भी मजा ले सकते हैं।
7) पियोरा (Peora)
यह प्लेस एक शांत वातावरण में स्थित है, जहाँ आप प्रकृति का आनंद ले सकते हैं। यह 6000 फीट की ऊंचाई पर बसा है। जो लोग शांति के साथ अपना कुछ समय बिताना चाहते हैं, उन्हें इस जगह पर जरूर जाना जाना चाहिए। इस गांव में आपको ब्रिटिश काल के कई बंगले भी देखने को मिलेंगे।
8) रामगढ़ (Ramgarh)
यह मुक्तेश्वर से करीब 31 किमी की दूरी पर है। हिमालय की गोद में बसा हुआ यह गांव प्राकृतिक सुंदरता को अपने में समेटे हुए है। यह समुद्र तल से 1,789 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। पर्यटकों (Tourists) के लिए यह पसंदीदा जगह है। यहाँ पर सेब, आलूबुखारा जैसे फल ज्यादा होते हैं, जिस कारण इसे “कुमायूँ के फलों” का कटोरा भी कहा जाता है।
9) धानाचूली (Dhanachuli)
धनाचूली अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ पर सुंदर पहाड़, फलों के बगीचे और घने जंगल हैं। यह जगह प्रकृति प्रेमियों और शांति चाहने वालों के लिए भी एक आदर्श प्लेस है। यह समुद्र तल से 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों एवं संस्कृति के लिए भी फेमस है।
10) किल्मोड़ा शॉप (Kilmoda Shop)
घूमने के साथ साथ वहां से शॉपिंग करने का अपना ही मजा होता है। किल्मोड़ा शॉप आपके इस विश को पूरा करती है। यहाँ स्थानीय कुमाऊँनी हस्तशिल्प, बुने हुए शॉल, ऊनी कपड़े, जड़ी-बूटियाँ आदि मिलती हैं, जिन्हें आप खरीद सकते हैं।
मुक्तेश्वर में रुकने की जगह (Where To Stay In Mukteshwar)
मुक्तेश्वर में आपको रुकने के लिए भी अच्छी जगहें मिल जाएँगी। आप अपनी सुविधानुसार रूम ले सकते हैं। यहाँ के कुछ होटल्स के नाम इस प्रकार हैं, जहां पर आप ऑनलाइन भी रूम बुक करा सकते हैं –
- भीमताल होटल (Bhimtal Hotels)
- रामगढ़ होटल (Ramgarh Hotels)
- नौकुचियाताल होटल (Naukuchiatal Hotels)
- जिम कॉर्बेट होटल (Jim Corbett Hotels)
- सत्तल होटल (Sattal Hotels)
- मुक्तेश्वर होटल (Mukteshwar Hotels)
- काठगोदाम होटल (Kathgodam Hotels)
शॉपिंग (Shopping)
यदि आप घूमने के साथ साथ शॉपिंग के भी शौक़ीन हैं, तो आपको यहाँ खरीदारी के लिए कई शॉप्स भी मिल जाएँगी, जहाँ से आप अपनी पसंद की चीज़ें ले सकते हैं, जैसे –
- स्टोर रॉयल मार्ट (Store Royal Mart)
- हिमाद्री हंस हैंडलूम (Himadri Hans Handloom)
- मुक्तेश्वर बाजार (Mukteshwar Market)
- किल्मोड़ा शॉप (Kilmora Shop)
मुक्तेश्वर कैसे जाएं (How to Reach Mukteshwar)
आप यदि मुक्तेश्वर जाने का ट्रिप प्लान कर रहे हैं, तो आपको यहाँ पहुंचने के लिए कई ऑप्शन मिल जायेंगे, जो बहुत ही आसान हैं, जैसे –
ट्रेन द्वारा – अगर आप यहां ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको दिल्ली से काठगोदाम तक की डायरेक्ट रेल सेवा मिल जाएगी। काठगोदाम से मुक्तेश्वर की दूरी केवल 73 किमी है, जिसके लिए आप बस या टैक्सी ले सकते हैं।
हवाई जहाज द्वारा – आप यदि हवाई जहाज से मुक्तेश्वर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आपके लिए सबसे नजदीक का हवाई अड्डा पंतनगर का रहेगा। यह मुक्तेश्वर हिल स्टेशन से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्ग द्वारा – मुक्तेश्वर जाने के लिए आप सड़क मार्ग का ऑप्शन भी चुन सकते हैं। मुक्तेश्वर अच्छी तरह से सड़कों द्वारा जुड़ा हुआ है। यह नैनीताल से करीब 51 किलोमीटर की दूरी पर है, और भवाली से केवल 40 किमी की दूरी पर है। आप बस या फिर अपने निजी वाहन से यहाँ आसानी से पहुंच सकते हैं।
मुक्तेश्वर के लिए टूर पैकेज (Best Mukteshwar Tour Packages)
Duration – 2 रातें / 3 दिन
Destination Covered – मुक्तेश्वर, कुमाऊं
Tour Activities – कैम्पिंग, हिल स्टेशन और घाटियाँ, रोमांटिक, वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान, पैराग्लाइडिंग, धार्मिक प्लेस, झीलें और नदियाँ, ट्रेकिंग, साइकिल चलाना, रॉक क्लाइम्बिंग
Packages – 11800 (प्रति व्यक्ति)
FAQs
Q. मुक्तेश्वर क्यों प्रसिद्ध है?
A. मुक्तेश्वर से हिमालय की पर्वतमाला का सुन्दर नजारा साफ दिखाई देता है। साथ ही यहाँ प्राचीन शिव मंदिर भी हैं, जिनके लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
Q. नैनीताल से मुक्तेश्वर कितनी दूरी पर है?
A. नैनीताल से मुक्तेश्वर की दूरी 51 किलोमीटर है।
Q. मुक्तेश्वर के सबसे करीब कौन सा शहर है?
A. मुक्तेश्वर के सबसे करीब नैनीताल शहर है।
Q. क्या हम मुक्तेश्वर से हिमालय देख सकते हैं?
A. मुक्तेश्वर से हिमालय श्रृंखला का 180 डिग्री का स्पष्ट नजारा दिखाई देता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको मुक्तेश्वर से जुड़ी सारी जानकारी दी है। हमने आपको वहां के इतिहास, संस्कृति, विशेषताएं, रहन सहन, त्यौहार, नृत्य, और पारंपरिक वेशभूषा के बारे में भी बताया है। इसके अलावा वहां जाने का अच्छा समय, घूमने की जगहें, रुकने की जगह, खरीदारी और वहां जाने में आने वाला खर्च इसके बारे में भी बता दिया है।
आशा करते हैं कि आपको मुक्तेश्वर से सम्बंधित सारी जानकारियां मददगार लगी होंगी। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया हो, तो आप इसे सोशल साइट्स पर भी शेयर करें, Thanks!