अंडमान निकोबार भारत का एक ऐसा केंद्रशासित प्रदेश है जो न केवल रहस्यों से भरी हुयी है बल्कि पूरी दुनिया के लिए आश्चर्य बानी हुयी है।
Image resource: Unsplash
Image resource: Unsplash
ये आदिवासी यहां के निवासी माने जाते हैं, जो सदियों पहले अफ्रीका से माइग्रेट होकर अंडमान पहुंचे।
Image resource: Unsplash
अंडमान के निवासी मुख्यतः 'जार्वा' जनजाति से हैं। जिनकी संख्या 500 से भी कम हैं और ये बाहरी लोगों से बिल्कुल भी घुलते मिलते नहीं हैं।
Image resource: Unsplash
ये जनजाति सरकार के द्वारा संरक्षित और यंहा पर सबसे ज्यादा बंगाली भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा यंहा पर हिंदी, तमिल, तेलगू और मलयालम भाषा बोलने वाले लोग हैं।
Image resource: Unsplash
अंडमान में कुल 572 आइलैंड है जिनमें 36 ही ऐसे जंहा बसने लायक या जाने लायक है।
इसे भी पढ़ें अंडमान में स्थित प्रमुख पर्यटन स्थल
Image resource: Unsplash
निकोबार में जाने के लिए सिर्फ रिसर्च या सर्वे के लिए ही चुनिंदा लोगों को इजाजत मिलती है। टूरिस्ट के लिए भी यहां जाना बहुत मुश्किल है।
Image resource: Unsplash
सबसे ज्यादा समुद्री कछुआ यही पर पाया जाता है। धरती का सबसे बड़ा कछुआ भी यहीं पाया जाता है। जो साइज में बहुत बड़े आकर के होते हैं।
Image resource: Unsplash
धरती का सबसे छोटा कछुआ ओलिव राइडली भी अंडमान पहुंचकर अपना घर बनाता है।
Image resource: Unsplash
अंडमान में डेनिश कॉलोनियल रूल सन 1868 में खत्म हुआ था। यंहा ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि ब्रिटिशर्स ने इसे खरीद लिया था।
Image resource: Unsplash
इसके बाद आइलैंड का पूरा अधिकार अंग्रेजों के हाथ में चला गया। अंडमान के दो आइलैंड्स के नाम ईस्ट इंडिया कंपनी के दो ऑफिसर्स के नाम पर रखा गए हैं।
Image resource: Unsplash
ये आइलैंड हैं हेवलॉक और नील आइलैंड।
Image resource: Unsplash