अंडमान निकोबार द्वीप समूह यह भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश है। यंहा पर हर मौसम में पर्यटक घूमने के लिए आते रहते हैं।
आज हम आपको इस द्वीप समूह के कुछ ऐसे फैक्ट बताएँगे जो कि शायद आपको नहीं पता होगा और आपको ये जानना बेहद जरूरी है।
इस द्वीप पर रहने वाली जनजातियां नए लोगो के साथ घुलना मिलना ज्यादा पसंद नहीं करती है। यंहा के निवासियों कि जनजाति मुख्यतः ‘जार्वा’ है इस जनजाति के लोगो कि संख्या 500 से भी कम की संख्या में है।
वैसे तो यह आइलैंड बहुत है प्रसिद्ध है लेकिन यंहा पर कुछ ऐसी जगहें है जंहा इंसानो को जाना सख्त मना है। अंडमान निकोबार के टोटल 572 आइलैंड है लेकिन बसने या घूमने लायक केवल 36 आइलैंड ही है।
समुंद्री कछुए सबसे ज्यादा यही पाए जाते हैं इस दुनिया के सबसे बड़े कछुए का ठिकाना यही है जिसका नाम Dermocheleys Coriacea है। ये आकर में बहुत बड़े होते है। और हर साल निकोबार पानुचते हैं। धरती का सबसे छोटा कछुआ ओलिव राइडली भी अंडमान पहुंचकर आसरा बनाता है।
20 रूपये जो जंगल आप देखते है वो अंडमान द्वीप समहू का ही है
अंडमान के समुद्री इलाके में व्यापर करने के लिए फिशिंग को बैन किया गया है। यह उन जगहों में से हैं जंहा मछलियों को पूरा जीवन जीने का अवसर मिलता है।
इस द्वीप समूह पर सबसे ज्यादा बंगाली भाषा का प्रयोग किया जाता है और इस भाषा के अलावा हिन्दी, तमिल, तेलगू और मलयालम भाषा भी बोली जाती है।
अंडमान निकोबार द्वीप समहू कि उत्पत्ति कैसे हुयी इस पर अलग-अलग लोगों के अपने अलग-अलग विचार है। यह भी कहा जाता है कि अंडमान शब्द हनुमान का ही एक रूप है जो संस्कृत मूल के मलय भाषा से प्रचलित हुआ है। मलय में रामायन के हनुमान पत्र को हन्डुमान कहा जाता है और निकोबार का मतलब है नेकेड लोगो का लैंड।
अंडमान निकोबार आइलैंड का 90% इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है।जो कि भारत के किसी भी राज्य से ज्यादा है। प्रतिशत के हिसाब से।
ब्रिटिश शासन कल में अंडमान काले पानी कि सजा के लिए जाना जाता था। यंहा कि सेलुलर जेल आज भी स्वाधीनता संग्राम के नायकों की कहानी को बंया करती है। हलाकि अब इस जेल को राष्ट्रीय स्मारक में बदल दिया गया है।