तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित रामेश्वरम मंदिर हिंदूओं का एक पवित्र तीर्थस्थल है। यह स्थान हिंदूओं के चार धाम में से एक है।

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इस मंदिर में भगवान शंकर की पूजा की जाती है। यंहा की यह मान्यता है कि भगवन श्रीराम श्रीलंका से वापस लौटते वक्तशिव की पूजा की। इसलिए इस जगह का नाम रामेश्वरम रखा गया।

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आज हम आपको रामेश्वरम से जुड़े कुछ फैक्ट बताएँगे जो काफी रोचक और प्राचीन है। अगर आप कभी भी शिव के दर्शन करने आते हैं तो ये बातें आपको जरूर पता होनी चाहिए। 

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रामेश्वरम मंदिर में स्थापित शिवलिंग भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है।

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इस मंदिर के अंदर मीठे जल के 24 कुएं है। यह भी मान्यता है कि भगवान राम ने अपनी वानर सेना की प्यास बुझाने के लिए अपने बाणों से इन कुओं को बनाया था।

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इन कुओं का पानी बहुत पवित्र मन जाता है। यह भी कहा जाता है कि जो लोग इस पानी का सेवन करता है। उसके जन्म-जन्मों के पाप धुल जाते है।

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रामेश्वरम मंदिर की शिल्पकला बहुत ही अद्भुत और प्राचीन है। यंहा की रचना में द्रविड शैली की झलक दिखने को मिलती है।

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इस जगह आकर के शिवलिंग का अभिषेक करने से उस व्यक्ति के साथ-साथ उसकी सात पीढियों के सारे पाप भी धुल जाते है।

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इस मंदिर का गलियारा 1,212 खंभों से बना हुआ है। जो पश्चिम दिशा में 400 फीट और दक्षिण व उत्तर दिशा में 640 फीट तक फैला हुआ है।

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यंहा कि यह भी मान्यता है कि जिस स्थान पर मंदिर बना हुआ है। उसी स्थान पर भगवन श्री रामजी और विभीषण की पहली मुलाकात हुई थी

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रामेश्वरम मंदिर में यह भी कहा जाता है कि रावण को मारने के बाद ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिए राम जी ने यहाँ पर शिव जी की आराधना की थी।

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इस पवित्र स्थान पर  दो शिवलिंग है, पहला जो हनुमानजी कैलाश पर्वत से लाए थे और दूसरा जो माता सीता ने रेत से बनाया था।

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यहाँ पर स्थापित चूने के पत्थरों से बनी नंदी की मूर्ति 17 फीट ऊँची है और लगभग 12 फीट चौड़ी है।

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